Sumbul Rana Mirapur Candidate: उत्तर प्रदेश में जिन 9 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने जा रहा है, उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मीरापुर सीट भी शामिल है। मीरापुर सीट से 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन से चुनाव लड़े चंदन चौहान विजयी हुए थे। चंदन चौहान इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी-रालोद गठबंधन के टिकट पर बिजनौर से सांसद चुने गए हैं और उनके विधानसभा से इस्तीफा देने की वजह से यह सीट खाली हुई है। कांग्रेस भी इस सीट पर टिकट की दावेदारी कर रही थी लेकिन सपा ने यह सीट अपने पास रख ली।

मीरापुर सीट पर सपा ने सुम्बुल राणा को टिकट दिया है। मीरापुर सीट पर सपा के टिकट के लिए 25 नेता लखनऊ गए थे। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने टिकट पर चर्चा के लिए मुजफ्फरनगर के सांसद हरेंद्र मलिक, जिला अध्यक्ष जिया चौधरी सहित तमाम वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की थी।

उत्तर प्रदेश उपचुनाव: सपा ने कांग्रेस को दीं ये दो विधानसभा सीटें, 2022 में दोनों पर हुआ था ‘बुरा हाल’

सुम्बुल राणा बड़े राजनीतिक घराने से आती हैं। उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को चुनाव नतीजे आएंगे। इसी दिन महाराष्ट्र और झारखंड के भी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला बड़ा मौका है जब बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन और सपा की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन आमने-सामने होंगे। बीजेपी और एनडीए में शामिल दल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम पर वोट मांग रहे हैं जबकि इंडिया गठबंधन में शामिल दलों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार कानून व्यवस्था, महंगाई, बेरोजगारी सहित तमाम मोर्चों पर पूरी तरह फेल है।

लोकसभा चुनाव के नतीजों में उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन ने बड़ी कामयाबी हासिल की थी जबकि बीजेपी और एनडीए को जरबदस्त झटका लगा था।

2024 लोकसभा चुनाव में हुआ बीजेपी को बड़ा नुकसान

राजनीतिक दल 2024 में मिली सीटें2019 में मिली सीटें
बीजेपी 3362
सपा 375
कांग्रेस61
बीएसपी 010
रालोद2
अपना दल (एस)12
आजाद समाज पार्टी(कांशीराम)1

इन 9 सीटों पर होना है उपचुनाव

विधानसभा सीट का नामसंबंधित लोकसभा
कटेहरी अंबेडकर नगर
मझवांमिर्जापुर
मीरापुर मुजफ्फरनगर
सीसामऊ कानपुर नगर
करहल मैनपुरी
फूलपुर प्रयागराज
खैर अलीगढ़
कुंदरकी मुरादाबाद
गाजियाबाद गाजियाबाद

कादिर राणा की बहू हैं सुम्बुल

मीरापुर विधानसभा सीट पर चुनाव को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में माहौल काफी गर्म है क्योंकि सुम्बुल राणा यहां के बड़े नेता कादिर राणा की बहू हैं। आइए, सपा की उम्मीदवार सुम्बुल राणा और कादिर राणा के बारे में थोड़ा और जानते हैं।

उत्तर प्रदेश: सपा ने इस सीट पर घोषित किया प्रत्याशी; BJP ने की उपचुनाव की तारीख बदलने की डिमांड

पूर्व सांसद कादिर राणा मुजफ्फरनगर और पश्चिम उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा नाम हैं। कादिर राणा यहां से अपने बेटे शाह मोहम्मद को टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन सपा ने शाह मोहम्मद के बजाय उनकी पत्नी सुम्बुल राणा को टिकट दे दिया।

राणा परिवार के कई लोग लड़ चुके हैं चुनाव

पश्चिमी यूपी की राजनीति में राणा परिवार की सियासी धमक रही है। राणा 1993 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन तब उन्हें हार मिली थी। इसके बाद वह विधान परिषद पहुंचे। 2007 के विधानसभा चुनाव में कादिर राणा मोरना सीट से विधायक बने और 2009 में बसपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर से सांसद चुने गए। उनके भाई नूर सलीम राणा 2012 के विधानसभा चुनाव में चरथावल सीट से विधायक चुने गए थे। उनके भतीजे शाहनवाज राणा भी विधायक रहे हैं। शाहनवाज राणा की पत्नी तबस्सुम बेगम जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं।

कादिर राणा की पत्नी सईदा बेगम भी चुनाव मैदान में हाथ आजमा चुकी हैं। 2017 में वह बसपा के टिकट पर बुढ़ाना सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन तब उन्हें हार मिली थी। 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही राणा परिवार को राजनीति में कामयाबी नहीं मिली है। इस बार राणा परिवार को उम्मीद है कि महिला प्रत्याशी के तौर पर राणा उनकी जीत के सूखे को खत्म कर सकती हैं। राणा की उम्र 32 साल है। उन्होंने मेरठ से एमए की डिग्री ली है। साल 2010 में उनकी शादी शाह मोहम्मद से हुई थी। राणा के चार बच्चे हैं।

बसपा नेता मुनकाद अली की बेटी हैं सुम्बुल

सुम्बुल राणा मायके की ओर से भी मजबूत राजनीतिक परिवार से आती हैं। वह बसपा के बड़े नेता मुनकाद अली की बेटी हैं। मुनकाद अली बसपा के बड़े नेता हैं और राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं।

रालोद भी जल्द करेगा उम्मीदवार के नाम का ऐलान

एनडीए गठबंधन की ओर से मीरापुर सीट रालोद के खाते में गई है। रालोद यहां से जल्द ही अपने कैंडिडेट के नाम का ऐलान कर देगा। सांसद चंदन चौहान अपनी पत्नी यशिका चौहान के लिए टिकट की पैरवी कर रहे हैं। मुजफ्फरगर में रालोद के जिलाध्यक्ष संदीप मलिक ने भी मीरापुर से दावेदारी की है। इसके अलावा भी कई नेता टिकट चाहते हैं।