भाजपा के कोलाबा विधायक राहुल नार्वेकर दूसरी बार विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं।  यह रिकॉर्ड अब तक केवल कांग्रेस विधायक बालासाहेब भारदे के नाम था। राहुल नार्वेकर निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं, उनके अलावा किसी और ने उम्मीदवारी नहीं जताई थी। विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) दलों द्वारा नामांकन दाखिल करने से इनकार कर दिया था। वह सबसे कम उम्र (44 साल) में स्पीकर चुने वाले नेता भी हैं। 

कौन हैं राहुल नार्वेकर?

महाराष्ट्र के कोलाबा विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट पर राहुल नार्वेकर ने अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के हीरा देवासी को 48581 वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी। राहुल नार्वेकर ने अपनी राजनीतिक शुरुआत शिवसेना से की थी। वह पेशे से वकील हैं। वह शरद पवार की एनसीपी का भी हिस्सा रहे। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।

कोलाबा सीट के 2019 के चुनावी नतीजों की बात करें तो यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी उम्मीदवार राहुल नार्वेकर को 57,420 वोट मिले थे। कांग्रेस उम्मीदवार अशोक भाई गजताप को 41, 225 वोट मिले थे। 

राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ रविवार को नामांकन दाखिल किया था।

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एमवीए नेताओं ने फडणवीस से मुलाकात की थी और उनसे उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने के प्रोटोकॉल का पालन करने की मांग की थी। इसके अलावा विपक्षी गठबंधन ने नेता प्रतिपक्ष का पद भी मांगा था। विपक्ष ने विधायकों के शपथ ग्रहण का भी पहले दिन बहिष्कार कर दिया था।

आदित्य ठाकरे ने क्या कहा?

शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) ने आज की कार्यवाही का बहिष्कार दो वजहों से किया। आदित्य ठाकरे ने कहा,”पहली बात हमने कल परंपरा और रीति-रिवाज का सम्मान करते हुए स्पीकर का चुनाव निर्विरोध किया था। लेकिन जब नाम आया तो राहुल नार्वेकर का नाम आया। पिछले 2.5 सालों में उन्होंने विभाजन की राजनीति की, हमें इस बात की गारंटी चाहिए कि वह अन्याय दोबारा नहीं होगा। दूसरी बात यह है कि अगर आप सदन के अंदर देखें तो वे जश्न का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों के बीच कोई जश्न नहीं है, क्योंकि सरकार ईवीएम की सरकार है। लेकिन आज बेलगाम में अन्याय हो रहा है, मराठी लोगों के साथ अन्याय हो रहा है, हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री बेलगाम को केंद्र शासित प्रदेश बनाएं।”