सुरक्षा बलों को मंगलवार को बड़ी कामयाबी मिली जब उन्होंने कुख्यात नक्सली माडवी हिडमा को मौत के घाट उतार दिया। उसके साथ कई अन्य नक्सलियों को भी आंध्र प्रदेश में एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराया गया।

हिडमा आखिर था कौन?

हिडमा शुरुआत से ही नक्सलवादी विचारधारा से प्रभावित रहा। एक दशक तक वह मिलिट्री कमांडर के रूप में सक्रिय रहा और हाल ही में उसे केंद्रीय कमेटी का सदस्य बना दिया गया था, जो नक्सल संगठन में दूसरी सबसे बड़ी उपाधि मानी जाती है। मिलिट्री लीडर के तौर पर कई बड़े हमलों में हिडमा का नाम सामने आया था। उसकी वजह से अकेले बस्तर इलाके में 155 जवान मारे गए थे।

हिडमा की मां उसे बुलाती रह गईं!

एक हफ्ते पहले ही छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा हिडमा की मां से मिले थे। तब उन्होंने कहा था कि वह अपने बेटे से हथियार छोड़ने की अपील कर दें। इस पर हिडमा की मां ने भी कहा था — “तुम कहां हो बेटा? घर वापस आ जाओ। हम लोग यहीं पर रहते हैं। अगर तुम वापस नहीं आओगे तो मैं क्या करूं? अगर तुम पास में रहते, तो मैं खुद जंगल आकर तुम्हारी तलाश करती। बस इतना चाहती हूं कि तुम वापस आ जाओ।”

जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कई सालों से अलग-अलग माध्यमों के जरिए हिडमा को अपने हथियार डालने के लिए कहा जा रहा था- चाहे वह सरकार के स्तर पर हो या किसी सामाजिक पहल के जरिए। लेकिन हर बार हिडमा का एक ही जवाब होता था- “मैं आखिरी सांस तक लड़ूंगा, चाहे मैं अकेला ही क्यों न रह जाऊं।”

बताया जाता है कि हिडमा को ‘बाल संगम’ के तौर पर बचपन में ही नक्सलवादी संगठन में शामिल करा दिया गया था। सुकमा–बीजापुर सीमा के इलाके में उसका जन्म हुआ था।

हिडमा के हमले और भूमिका

2009 से 2021 तक हिडमा पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की मिलिट्री बटालियन नंबर-1 का कमांडर रहा। उसके कार्यकाल में 155 जवान मारे गए।

6 अप्रैल 2010: उसकी अगुवाई में सीआरपीएफ पर बड़ा हमला हुआ, जिसमें 76 जवान शहीद हुए।

11 मार्च 2017: बुरकापाल क्षेत्र में 12 जवान शहीद हुए।

30 अप्रैल 2017: बुरखापाल गांव में 25 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए।

21 मार्च 2020: 17 जवान मारे गए।

हिडमा का संगठनात्मक सफर

बताया जाता है कि हिडमा की पहली पोस्टिंग मध्य प्रदेश के बालाघाट क्षेत्र में थी। वह तब 22 साल का था। 2004 में वो सुकमा में उसे घोटुला एरिया कमेटी का सेक्रेटरी बनाया गया। 2007 में वो कंपनी नंबर-3 का कमांडर नियुक्त हुआ। 2009 में वो PLGA बटालियन-1 का डिप्टी कमांडर बना और बाद में उसे कमांडर तक पदोन्नत किया गया। हिडमा की पत्नी के बारे में बताया जाता है कि वह खुद भी एक मुठभेड़ में मारी गई थी। वह लंबे समय तक ‘मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल’ की हेड रही।

सुजाता कौन है?

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स सुजाता की भूमिका पर भी प्रकाश डालती है। बताया जाता है कि नक्सली महिला सुजाता ने शुरुआती दौर में हिडमा को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी थी। 2024 में सुरक्षा बलों ने उसे तेलंगाना से गिरफ्तार किया था। उसके ऊपर करोड़ों का इनाम घोषित था। सुजाता बस्तर डिवीजन कमेटी की प्रभारी थी और सुकमा समेत कई दूसरे इलाकों में नक्सल गतिविधियों की मुख्य रणनीतिकार मानी जाती रही है।