Womens In Parliament: भारत में चुनाव आयोग कुछ दिनों बाद लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करने वाला है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार भी चुनाव अप्रैल-मई महीने में ही आयोजित करवाए जा सकते हैं। राजनीतिक दलों ने अपनी पार्टी के कुछ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करना भी शुरू कर दिया है। बीजेपी ने 195 उम्मीदवारों की लिस्ट में 28 महिलाओं को टिकट दिया है। ऐसे में हम बात करने जा रहे हैं कि दुनियाभर की संसद में महिलाओं को कितना प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
संसदों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की बात करें तो इसमें प्रगति धीरे-धीरे हो रही है। इंटर पार्लियमेंट्री यूनियन का मानना है कि दुनिया भर की संसदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी हद तक कम है। आईपीयू ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि संसदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अब 26.9 फीसदी है। इसका मतलब है कि दुनिया भर में राष्ट्रीय संसदों में चार में से एक सांसद महिलाएं हैं। आईपीयू ने आगे कहा कि अगर चीजें ऐसी ही चलती रहीं, तो महिलाओं को समानता हासिल करने में अभी 80 साल से ज्यादा का समय लग जाएगा।
आईपीयू के अनुसार 2004 के बाद से आंकड़े में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन 2014 से केवल तीन फीसदी से ज्यादा ही बढ़ोतरी हुई है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल मार्च में, आईपीयू ने नोट किया कि इतिहास में पहली बार दुनिया की हरेक कामकाजी संसद में कम से कम एक महिला थी।
अब क्षेत्रीय आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो अमेरिका इन सबमें सबसे आगे है। यहां पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व 35.1 फीसदी है। चुनावी चक्र में लैंगिक मुद्दे भी अक्सर उभरकर सामने आते हैं। उदाहरण के लिए देखा जाए तो पोलैंड के 2023 के चुनाव में 2020 के कोर्ट के फैसले के बाद गर्भपात एक प्रमुख मुद्दा बन गया, जिसने गर्भपात तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया। आईपीयू की रिपोर्ट बताती है कि इस वजह से सत्तारूढ़ दल को अपनी सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था।
कौन-कौन से देश अच्छा प्रदर्शन कर रहे
जब संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की बात आती है तो यह कोई यूरोपीय या अमेरिकी राष्ट्र नहीं है जो लिस्ट में सबसे ऊपर खड़े हुए नजर आते हैं। आईपीयू के अनुसार, मध्य अफ्रीकी देश रवांडा इस लिस्ट में नंबर एक पर है। यहां पर संसद में 61.3 प्रतिशत सीटें महिलाओं के पास हैं। खासतौर से 2008 में रवांडा महिला बहुमत संसद वाला पहला देश भी था। रवांडा के बाद क्यूबा और निकारगुआ का नाम सामने आता है। यहां पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व 56 और 52 प्रतिशत है। आईपीयू की इस साल की रिपोर्ट में यूएई को उसकी संसद में 50 फीसदी प्रतिनिधित्व के साथ पांचवें नंबर पर रखा गया है।
ब्रिटेन-जर्मनी टॉप 10 में शामिल नहीं
जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देश टॉप 10 की लिस्ट में शामिल नहीं है। आईपीयू ने कहा कि जर्मनी की राष्ट्रीय संसद, बुंडेस्टाग, महिला प्रतिनिधित्व के मामले में 184 में से 47वें स्थान पर है। ऐसे कई देश हैं जो संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में बेहद खराब प्रदर्शन कर रहे हैं। यमन के निचले सदन में कोई भी महिला मौजूद नहीं हैं। वहीं, ऊपरी सदन में सिर्फ एक महिला सांसद है। वहीं, नाइजीरिया, कतर और ईरान जैसे 20 देशों में महिलाओं के पास 10 प्रतिशत से भी कम सीटें हैं।
श्रीलंका की बात की जाए तो यह पहली महिला प्रधानमंत्री वाला देश था। हालांकि, इसकी स्थिति भी बेहतर नजर नहीं आती है। आज की तारीख में इसकी संसद में केवल 5.3 फीसदी ही महिलाएं हैं। जापान की रैंकिग भी काफी खराब है। साल 2022 में यहां पर निचले सदन में केवल 10 फीसदी से भी कम सीटें थी।
भारत की स्थिति क्या है
अब भारतीय स्थिति की बात की जाए तो भारत की संसद में कुल 104 महिला सांसद (लोकसभा में 78) और राज्यसभा में 24 हैं। इसका मतलब यह है कि संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है। हालांकि, देश की संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि बीते साल महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी गई है। इसके तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सभी सीटों में से एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व की जाएगीं। इसी तरह का एक विधेयक 2008 में राज्यसभा में पेश किया गया था और दो साल बाद सदन द्वारा पारित किया गया था। 2014 में 14वीं लोकसभा के बाद यह खत्म हो गया।