Aurangzeb Birth Place: मुगल शासक औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में चल रही बहस के साथ ही नागपुर में हिंसा भी हो चुकी है। हिंदू संगठनों की मांग है कि छत्रपति संभाजी नगर में बनी औरंगजेब की कब्र को तोड़ दिया जाना चाहिए। बीजेपी के कई नेताओं ने औरंगजेब की कब्र को तोड़े जाने का समर्थन किया है।

छावा फिल्म के आने के बाद जब औरंगजेब को लेकर बहस शुरू हुई तो तमाम अहम जानकारियों के साथ यह बात भी आम लोगों तक पहुंची कि औरंगजेब की मौत महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुई थी। औरंगजेब छठा मुगल सम्राट था और उसकी मौत 3 मार्च, 1707 को 88 साल की उम्र में हुई थी।

औरंगजेब ने 49 साल तक शासन किया जिसमें से अपने जीवन के अंतिम 25 साल तक उसने मराठा शासकों के खिलाफ युद्ध लड़ा।

औरंगजेब ने अपनी वसीयत में इच्छा जताई थी कि उसे सूफी संत जैनुद्दीन शिराजी की दरगाह के पास दफन किया जाए। औरंगजेब का निधन अहमदनगर में हुआ था लेकिन उसकी इच्छा के मुताबिक उसके शव को 136 किलोमीटर दूर खुल्दाबाद ले जाया गया और यहां दफनाया गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मुगल शासक का जन्म कहां हुआ था? आइए, आपको बताते हैं।

जहांगीर ने बनाया था राजकुमार खुर्रम को गवर्नर

औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर, 1618 को गुजरात के दाहोद में हुआ था। औरंगजेब राजकुमार खुर्रम की छठी संतान और तीसरे नंबर का बेटा था। उसके दो बड़े भाई दारा शिकोह और शाह शुजा थे। राजकुमार खुर्रम को उस वक्त गुजरात का गवर्नर बनाया गया था। खुर्रम को इस पद पर उसके पिता सम्राट जहांगीर ने 1618 में बैठाया था।

औरंगजेब की कब्र पर क्यों गए थे छत्रपति शिवाजी महाराज के पोते शाहू प्रथम?

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औरंगजेब को लेकर जारी है बहस। (Source-Instagram)

कुछ इतिहासकारों का दावा है कि राजकुमार खुर्रम ने 1622 में अपने पिता सम्राट शाहजहां के खिलाफ विद्रोह किया था। इस विद्रोह को दबाने के बाद दारा शिकोह और औरंगजेब को जहांगीर के पास बंधक के रूप में भेजा गया था। प्रसिद्ध इतिहासकार सर जदुनाथ सरकार ने A Short History of Aurangzib (1930) में लिखा है, ‘खुर्रम को अपने पिता जहांगीर के सामने अपने छोटे बेटों दारा और औरंगजेब को बंधक के रूप में पेश करना पड़ा। ये दोनों जून 1626 में जहांगीर के दरबार में लाहौर पहुंचे।’ हालांकि, कुछ अन्य इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि खुर्रम और जहांगीर के बीच 1625 में ही सुलह हो गई थी।

इतिहास को खंगालने पर यह पता चलता है कि औरंगजेब ने अपने जीवन के शुरुआती 4 से 8 साल गुजरात में बिताए।

औरंगजेब ने 1689 में मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी महाराज को मौत की सजा दी थी। इस वजह से मराठा समुदाय के बीच औरंगजेब की पहचान एक कट्टर दुश्मन की बन गई है। औरंगजेब की मौत 1707 में हुई थी। उसकी मौत के बाद मराठा साम्राज्य बहुत ताकतवर होकर उभरा। 

‘…औरंगजेब को औरंगाबाद की मिट्टी में दफना दिया’ बाला साहेब ठाकरे ने क्यों दिया था यह बयान?

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औरंगजेब को लेकर नहीं थम रही बहस। (Source-Instagram/@maddockfilms)

गुजरात में मुगल शासन

गुजरात 1573 में मुगलों के अधीन आया, जब सम्राट अकबर ने गुजरात सल्तनत के शासक मुजफ्फर शाह III को हरा दिया। इसके बाद यह मुगलों के लिए एक महत्वपूर्ण मुगल प्रांत बन गया और यहां पर मुगल दरबार की ओर से नियुक्त वायसरायों व अफसरों ने शासन किया। 1612 में जहांगीर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सूरत बंदरगाह में कारखाने (व्यापारिक केंद्र/गोदाम) स्थापित करने की इजाजत दी थी। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का असर इस इलाके में लगातार बढ़ता गया।

औरंगजेब को लेकर चल रही इस राजनीतिक लड़ाई के बीच सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या इस मुगल शासक की कब्र को तोड़ दिया जाएगा? हिंदू संगठनों ने उसकी कब्र को तोड़े जाने की मांग को लेकर पूरे महाराष्ट्र में अभियान छेड़ दिया है लेकिन क्या बीजेपी की अगुवाई वाली देवेंद्र फडणवीस सरकार इस बेहद संवेदनशील मामले में आगे बढ़ पाएगी?

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