81 साल के यशवंत सिन्हा की पहचान सिर्फ बगावत करके बीजेपी छोड़ने वाले बुजुर्ग नेता के तौर पर नहीं होनी चाहिए। वह वित्त और विदेश जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। इसके अलावा, एक आईएएस अफसर और लेक्चरर की भूमिका भी निभा चुके हैं। सिन्हा ने अपने लंबे राजनीतिक और प्रोफेशनल करियर से जुड़े अनुभव अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘रेलेंटलेस’ में साझा किए हैं। एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी पर चर्चा करते हुए एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया।
अंग्रेजी अखबार टेलिग्राफ में छपे एक इंटरव्यू में सिन्हा ने माना कि एक बार एक मुख्यमंत्री उन पर चीख पड़े थे। इसके जवाब में सिन्हा ने उन्हें कहा था, ‘मुमकिन है कि मैं किसी दिन सीएम बन जाऊं लेकिन आप कभी आईएएस अफसर नहीं बन पाएंगे।’ सिन्हा ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के बीच रिश्ते स्थिर नहीं हो पाए हैं। सिन्हा ने कहा कि दोनों के बीच ऐसा सामंजस्य बनना चाहिए कि अफसर या नेता, किसी को कोई परेशानी न हो। हालांकि, सिन्हा ने माना कि दोनों ही भूमिकाओं में उन्हें परेशानी उठानी पड़ी।
सिन्हा ने बताया, ‘मैं उस वक्त डिप्टी कमिश्नर था और हमेशा सोचता रहा कि सीएम मुझपर क्यों चिल्लाए? मुझे जवाब कई सालों बाद मिला जब मैं राजनीति में आया। जॉर्ज फर्नांडीज बिहार के बांका में उपचुनाव लड़ रहे थे। कर्नाटक के तत्कालीन सीएम रामकृष्ण हेगड़े उनका प्रचार करने के लिए आए थे। एसपी उनको रिसीव करने आए थे।’
सिन्हा ने आगे बताया, ‘मैंने उस अफसर से पूछा कि प्रशासन कैसे कांग्रेस प्रत्याशी की मदद कर रहा है। सिर्फ हमारी गाड़ियों की चेकिंग हो रही है। मैंने कहा कि ऐसा कोई आदेश चुनाव आयोग ने नहीं दिया है। उसने मुझसे कहा कि क्या मैं उसे कानून सिखाऊंगा? होता यह है कि ब्यूरोक्रेसी सत्ताधारी पार्टी के सामने झुकती है जबकि विपक्षी नेताओं के साथ खराब व्यवहार करती है।’
