देश में रक्षा निर्माण क्षमता को बढ़ाने को लेकर शुक्रवार (25 फरवरी) को एक वेबिनार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन दिनों का उल्लेख किया जब वह भाजपा के लिए सिर्फ एक पार्टी नेता थे। वेबिनार में भाग लेने वाले उद्योग जगत के नेताओं और अधिकारियों से पीएम मोदी ने कहा कि एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में वह कुछ समय के लिए पंजाब में तैनात थे, जब उन्हें वाघा सीमा पर कुछ भारतीय सैनिकों के साथ बातचीत करने का मौका मिला।

पीएम मोदी ने कहा कि सैनिकों में से एक ने उन्हें बताया कि भारतीय द्वार “हमारे दुश्मन” से छोटा है, यह बड़ा होना चाहिए और झंडा ऊंचा होना चाहिए। पीएम ने कहा कि यह उनके दिल को छू गया, क्योंकि इससे उन्हें पता चला कि भारतीय सैनिक देश में बनी वस्तुओं पर कितना गर्व करते हैं और उद्योग को उनके लिए हथियार बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि, “बीते कुछ वर्षों से भारत जिस तरह से रक्षा के क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता पर बल दे रहा है, उसकी प्रतिबद्धता इस बार के बजट में दिखेगा। गुलामी के कालखंड में भी और आजादी के तुरंत बाद भी हमारी रक्षा के क्षेत्र में निर्माण की ताकत बहुत ज्यादा थी। दूसरे विश्व युद्ध में भारत में बने हत्यारों ने बड़ी भूमिका निभाई थी। हालांकि बाद के वर्षों में हमारी यह ताकत काफी कमजोर होती चली गई।”

पीएम मोदी ने कहा कि, “सुरक्षा का जो मूल सिद्धांत है वह यह है कि आपके पास अपना अद्वितीय सिस्टम होना चाहिए, तभी वह आपकी मदद करेगा। अगर 10 देशों के पास एक ही तरह के रक्षा उपकरण होंगे तो आपकी सेनाओं के पास कोई विशिष्टता नहीं रहेगी। विशिष्टता और आश्चर्यजनक तत्व आपके पास तभी हो सकते हैं जब उपकरण आपके ही देश में बने हो।”

पीएम ने कहा कि, “इस साल के बजट में देश के भीतर ही रिसर्च, डिजाइन और डेवलपमेंट से लेकर निर्माण तक का एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है। रक्षा बजट में लगभग 70% घरेलू उद्योग के लिए रखा गया है। जब हम बाहरी देशों से अस्त्र-शस्त्र लाते हैं तब उसकी प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि जब तक वह हमारे सुरक्षा बलों के पास पहुंचते हैं, तब तक आउटडेटेड हो चुके होते हैं। इसका समाधान भी आत्मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया में ही है।”