अगर आप यह सोचते हैं कि रैंगिंग सिर्फ आम छात्रों के साथ होती है तो राहुल गांधी के बचपन का किस्सा भी पढ़ लीजिए। देश के सबसे ताकतवर राजनैतिेक परिवार के वारिस को भी स्कूल में रैगिंग का शिकार होना पड़ा था। हालांकि राहुल के साथ ऐसी कोई अप्रिय हरकत नहीं की गई, जैसा आमतौर पर रैगिंग में होता है। राहुल गांधी ने भी शायद इस रैगिंग का मजा लिया होगा। हाई स्कूल के शुरुआती दिनों में राहुल और उनके सहपाठियों को एक कमरे में ले जाया गया था। वहां सीनियर्स ने उनसे स्टूल पर खड़े होकर गाना गाने को कहा। एक कार्यक्रम में इस किस्से का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ”जब मैं उस स्टूल पर खड़ा हुआ तो जो डर मेरे मन में था, वह आज तक मुझे याद है। मुझे गाना नहीं आता था इसलिए मैं कुछ देर वहां चुपचाप खड़ा रहा। लेकिन अचानक कोई चिल्लाया, ‘अरे, कुछ गाओ न यार।’ मैं आपको बता तक नहीं सकता कि मुझे कैसा महसूस हुआ जब मैंने दिमाग में आया पहना गीत गाना शुरू किया। जैसे ही मैंने गाना खत्म किया, मैं तेजी से स्टूल से कूद गया। फिर कोई चिल्लाया, ‘ये म्यूजिक नहीं बस शोर है।’ वह पहला और उम्मीद करता हूं कि आखिरी बार हो जब मैंने सार्वजनिक रूप से गाना गाया था।”
राहुल गांधी दिल्ली में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार-2014-15 के कार्यक्रम में बोल रहे थे। इसी दौरान उन्होंने मजाकिया लहजे में स्कूल के दिनों में हुई रैगिंग का खुलासा किया। यह कार्यक्रम पूर्व प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया था।