महात्मा गांधी की आत्मकथा “सत्य के साथ मेरे प्रयोग” को दुनिया की सबसे बेबाक आत्मकथाओं में एक माना जाता है लेकिन उनके जीवन का एक पहलू ऐसा भी है जिसका जिक्र करना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा था। महात्मा गांधी ने एक अमेरिकी एक्टिविस्ट मार्ग्रेट सैंगर से  आत्मकथा में इस प्रसंग का उल्लेख न करने के बारे में सफाई देते हुए इसे “बहुत ही निजी” मामला बताया था। दो अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी की करीब 13 वर्ष की आयु में उम्र में छह महीने बड़ी कस्तूरबा से शादी हो गयी थी। लेकिन शादी के करीब तीन दशक बाद महात्मा को एक अन्य महिला सरलादेबी चौधरानी से प्रेम हो गया। सरला पहले से विवाहित थीं। उस समय महात्मा की उम्र 55 साल और सरला की उम्र 47 साल। ऐसा नहीं है कि गांधीजी ने इस प्रेम को छिपाया। उस समय तक गांधी जी कांग्रेस में सर्वप्रमुख नेता नहीं हुए थे। लेकिन एक विवाहित महिला से उनकी भावनात्मक निकटता चर्चा का विषय रही थी।

खुद महात्मा ने सी राजागोपालचारी को लिखे एक पत्र में बताया था कि “मुझे प्रेम हो गया है।” राजागोपालचारी को गांधीजी की आत्मस्वीकृति से धक्का लगा था। राजागोपालचारी ने गांधीजी को कड़े शब्दों में पत्र लिखकर कस्तूरबा गांधी को सुबह का सूरज और सरलादेबी जौधरी को केरोसिन लैम्प बताया था। सरलादेबी रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी लगती थीं। वो उनकी बहन की बेटीं थीं। सरलादेबी का विवाह राम भज दत्त चौधरी से हुआ था। गांधीजी ने सरला के संग अपने रिश्ते को “आध्यात्मिक विवाह” बताया था। हालांकि इस बात के कोई संकेत या प्रमाण नहीं मिलते कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध थे।

सरला केवल भावनात्मक ही नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से भी गांधीजी से नजदीकी तौर पर जुड़ी हुई थीं. सरला ने गांधीजी के साथ पंजाब, बनारस, अहमदाबाद, बॉम्बे, बरेली, झेलम, सिंहगढ़, हैदराबाद (सिंध), झांसी और कोलकाता जैसे कई शहरों का दौरा किया। सरलादेबी गांधीजी की कितनी करीबी थीं इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि उनके इसरार पर गांधीजी ने जवाहरलाल नेहरू से इंदिरा का विवाह सरलादेबी के बेटे दीपक से करने का सुझाव दिया। हालांकि नेहरू ने यह प्रस्ताव स्वीकार नहीें किया।