राज्यसभा सांसद अहमद पटेल के जन्मदिन के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी का कोषाध्यक्ष बनाकर बड़ा तोहफा दिया है। 69 वर्ष के अहमद पटेल के लिए कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा दी गई यह जिम्मेदारी बहुत ही अहम है। वैसे तो अहमद पटेल हमेशा से ही गांधी परिवार के काफी करीब रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी द्वारा इतनी बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के बाद अब एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि पटेल के ऊपर पूरी पार्टी कितना भरोसा करती है। अहमद पटेल कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए राजनीति की दुनिया में बहुत ही अहम सहयोगी रहे हैं। उन्होंने हमेशा ही पार्टी के द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है।

संसद में सात बार गुजरात का प्रतिनिधित्व करने वाले अहमद पटेल यूपीए की सरकार के दौरान बेहद ही महत्वपूर्ण नेता थे और आज भी हैं। ऐसा नहीं है कि केवल कांग्रेस के नेताओं के बीच पटेल की अच्छी पकड़ है, बल्कि बीजेपी के भी कई नेता ऐसे हैं, जिनसे पटेल के अच्छे संबंध हैं। यूपीए के शासनकाल के दौरान एक ऐसी घटना हुई थी, जिसने अरुण जेटली तक को आश्चर्य में डाल दिया था। ओपन द मैग्जीन के मुताबिक यूपीए की सरकार के दौरान लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, वैंकेया नायडू और यशवंत सिन्हा हर दिन मीटिंग करते थे और इस पर चर्चा की जाती थी की संसद में किस मुद्दे को उठाना है।

इन मीटिंग्स में अरुण जेटली ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की हरियाणा में जमीन होने के मामले को उठाने की बात कही और यह भी कहा कि इसे सदन में उठाया जाना चाहिए। हालांकि जेटली की इस बात पर बहुत से उनके ऑडियंस हामी भरने से थोड़ा कतराते दिखे। एक ने तो यह तक कहा कि राजनेताओं के बच्चों को इस तरह से टारगेट नहीं किया जाना चाहिए। मीटिंग खत्म होने के बाद जब जेटली आडवाणी के कमरे से निकलकर हाउस की तरफ जाने लगे, तब अहमद पटेल भी उनके साथ चलने लगे। कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता को जानकारी थी कि मीटिंग में आखिरकार हुआ क्या था। उन्होंने फिर अरुण जेटली से अपील की कि वे सदन में इस मुद्दे को न उठाएं। यह घटना से यह साफ पता चलता है कि बीजेपी में भी पटेल के कनेक्शन कितने मजबूत थे।