What is Union Budget: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त आज यानी मंगलवार को वर्ष 2024-25 का बजट पेश करेंगी। मोदी सरकार के तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद यह पहला बजट है। बजट को तैयार करने की प्रक्रिया काफी समय पहले ही शुरू हो जाती है। नौकरीपेशा लोग हो या घरेलू महिलाएं, व्यापारी हो या बड़े उद्योगपति सभी को बजट का इतंजार रहता है। लोगों की नजर सरकार से मिलने वाली छूट पर होती है। रेलवे से लेकर इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव को लेकर आम आदमी बेसब्री से इंतजार करता है। वहीं व्यापारी और उद्यमियों को भी टैक्स में छूट का इंतजार रहता है। हम आपको बताएंगे कि आखिर देश का बजट तैयार कैसे किया जाता है। इसे बनाने में कौन सी टीम काम करती है।

क्या होता है बजट?

सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर बजट होता क्या है। बजट शब्द फ्रांस के बुजे (Bougette) से निकला बताया जाता है। इसका मतलब चमड़े के बैग से होता है। कहा जाता है कि पुराने समय में लोग अपनी कमाई और जरूरी कागजात चमड़े के बैग में रखते थे। आसान भाषा में समझें तो बजट एक साल का लेखा-जोखा होता है। इसमें सरकार की कमाई का अनुमान लगाया जाता है। सरकार को टैक्स के जरिए कितना पैसा मिलेगा और उसे कहां-कहां खर्च किया जाएगा। संविधान के ‘अनुच्छेद 112’ में ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ की चर्चा है। बजट एक तरह का मनी बिल (Money Bill) होता हैं। बजट को सबसे पहले संसद के लोकसभा (Loksabha) में पेश किया जाता हैं। इसके बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाता है।

कौन तैयार करता है बजट?

बजट बनाने का जिम्मा फाइनेंस मिनिस्ट्री का डिपार्टमेंट ऑफ़ इकनोमिक अफेयर्स (Department of Economic Affairs, Ministry of Finance) बनता है। 2016 से पहले आम बजट और रेल बजट को अलग-अलग पेश किया जाता था लेकिन अब एकसाथ पेश किए जाते हैं। आज बजट को हर साल 1 फरवरी या फरवरी के पहले कार्य दिवस पर पेश किया जाता है। इसे तैयार करने वालों में अर्थशास्त्रियों, वित्त मामलों के जानकारों और तमाम दूसरे विशेषज्ञों की अहम भूमिका रहती है।

कैसे तैयार होता है देश का आम बजट?

आम बजट को बनाने की प्रक्रिया कई महीनों पहले शुरू कर दी जाती है। इसे बनाने का जिम्मा वित्त सचिव, राजस्व सचिव और सचिव व्यय के पास होता है। इनकी लगातार बैठकें चलती हैं। वित्त मंत्री के साथ यह रोजाना बैठक करते हैं। प्रधानमंत्री के साथ भी इनकी चर्चा होती है। इसके अलावा बजट बनाने के लिए विभिन्न चैंबरों, संस्थाओं और संगठनों से बातचीत की जाती है और उनकी राय ली जाती है। सचिव व्यय, नीति आयोग के सदस्य सचिव और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद भी बजट बनाने में मदद करते हैं। इस दौरान पूरी टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और आर्थिक सलाहकार परिषद का सहयोग मिलता रहता है।

गोपनीयता का रखा जाता है पूरा ध्यान

बजट बनाना जितना बड़ा चैलेंज होता है उससे भी बड़ा इसे गोपनीय रखना भी चुनौतीभरा होता है। बजट बनाने के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारी दिन रात मेहनत करते हैं। बजट जब अंतिम रूप में होता है तो अधिकारियों के पास परिवार के लिए भी समय नहीं होता है। इन्हें ना तो परिवार के पास जाने की अनुमति होती है और ना ही अन्य लोगों के किसी प्रकार का संपर्क रखा जाता है। बजट के अंतिम समय में तो उनके मोबाइल रखने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है। बजट बनने के बाद उसे नॉर्थ ब्लॉक में सबसे सुरक्षित इलाके में रखा जाता है। यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता है।

पहले शाम को पेश होता था बजट

2000 तक बजट को शाम 5 बजे पेश किया जाता था। दरअसल यह ब्रिटिश काल से होता चला आ रहा था। ब्रिटिश शासन काल में भारत का बजट ब्रिटेन में दोपहर को पास होता था। हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तो उनके कार्यकाल में वित्त मंत्री यशवंत सिंह ने सालों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ बजट का समय सुबह 11 बजे का किया। तब से बजट को सुबह 11 बजे पेश किया जाता है।