मिसाइल टेक्नॉलोजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) में भारत की एंट्री को एक ऐसे मौके के तौर पर देखा जा रहा है जिससे भारत चीन को ‘ब्लैकमेल’ करके NSG में सदस्यता ले सकता है। दरअसल चीन इस ग्रुप का सदस्य नहीं है। चीन ने 2004 में MTCR में घुसने की कोशिश की थी, पर नॉर्थ कोरिया को मिसाइल तकनीक देने के आरोप में उसकी एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया। अब जब भारत MTCR का सदस्य बन गया है तो उसके पास मौका होगा कि वह चीन को एंट्री दे या नहीं।
इस ग्रुप को 1987 में सात देशों ने मिलकर बनाया था। ग्रुप में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और यूएस शामिल थे। इस ग्रुप का मकसद ही था कि हथियारों की अंधी दौड़ में शामिल होने से बचा जाए। आइए आपको बताते हैं कि MTCR और NSG में क्या फर्क है।
Read Also: MTCR में भारत: एंट्री के बाद मिलेंगे ये 4 फायदे, जानिए
पहले बात करते हैं MTCR की-
1.यह 1987 में बना था। इसमें फिलहाल 34 देश हैं।
2.इसका मकसद मिसाइलों का कम से कम इस्तेमाल है। यह ग्रुप केमिकल, बायलोजिकल और न्यूक्लियर मिसाइल को बनाने और उनका इस्तेमाल करने को कम करना चाहता है।
3.इसमें शामिल होने वाले देश की नीतियों में ब्लास्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और ड्रोन्स को एक्सपोर्ट करने का प्रावधान शामिल होना चाहिए।
Read Also: MTCR में भारत: 2008 से जारी था प्रयास, अप्रैल में आई तेजी, silent procedure के बाद ऐसे मिली एंट्री
NSG
1. 1974 में इसे बनाया गया था। अमेरिका की तरफ से इसे बनाने पर जोर भारत के परमाणु परीक्षण के बाद ही दिया गया था।
2. फिर 48 देशों के संगठन ने मिलकर NSG का निर्माण कर लिया गया। इसमें फैसला लिया गया कि सभी देशों को कम से कम परमाणु शक्ति सौंपी जाएगी।
3. साल 2008 से भारत इसमें जाने की कोशिश कर रहा है, पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) को भारत ने साइन करने से मना कर दिया।
4. इस संधि के मुताबिक, जो इस पर साइन करेगा उसे अपने सारे परमाणु हथियार बर्बाद करने पड़ेंगे। पाकिस्तान जैसे पड़ोसी के होते हुए भारत परमाणु हथियार निरस्त करने का खतरा मोल नहीं लेना चाहता।
6. इसको लेकर चीन के अलावा 7 और देशों ने भारत को NSG में शामिल करने से मना कर दिया।