रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा का आज (शुक्रवार, 05 अक्टूबर) अंतिम दिन है। इस बीच दोनों देशों के बीच 5 अरब डॉलर के पांच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीद का समझौता हुआ। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में बातचीत की और समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वहां मौजूद थीं। द्विपक्षीय समझौते के मुताबिक रूस भारत को एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 देगा। एस-400 एक ऐसा एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जो दुश्मनों द्वारा किए गए बैलिस्टिक मिसाइल हमले के खिलाफ एक ढाल के रूप में कार्य करता है। रूस द्वारा निर्मित एस-400 ट्रायम्फ की पहचान नाटो ने एसए-21 ग्रोलर के तौर पर की है जो जमीन से हवा में लंबी दूरी तक मार करनेवाला दुनिया का सबसे खतरनाक मिसाइल सिस्टम है। यह अमेरिका द्वारा विकसित अत्यधिक ऊंचाई क्षेत्र के रक्षा प्रणाली से कहीं अधिक प्रभावी माना जाता है। एस-400 एक मोबाइल सिस्टम है जो मल्टीफंक्शन रडार को एकीकृत करता है। इसके अलावा वो स्वत: दुश्मनों के मिसाइल की पहचान करता है और उसे भेद देता है। इस सिस्टम के पास एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर्स और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी है।
एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को पांच मिनट के अंदर कहीं भी तैनात किया जा सकता है। यह तीन तरह के मिसाइल दागने में सक्षम है ताकि कई स्तर पर सुरक्षा कवच तैयार किया जा सके। यह 30 किलो मीटर तक की ऊंचाई पर, 400 किलो मीटर की सीमा के अंदर विमान, मानव रहित हवाई वाहन, बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइलों सहित सभी प्रकार के हवाई लक्ष्यों को हवा में ही निशाना बनाकर नष्ट सकता है। यानी यह पाकिस्तान या चीन के मिसाइल सिस्टम को पहचानकर उसे वहीं नेस्तनाबूद कर सकता है। यह यूएस-निर्मित एफ -35 जैसे सुपर फाइटर विमानों समेत 100 एयरबोर्न लक्ष्यों को न सिर्फ ट्रैक कर सकता है बल्कि उनमें से छह को एक ही समय एकसाथ भेद सकता है। बता दें कि रूस की राजधानी मॉस्को की सुरक्षा में एस-400 को साल 2007 में ही तैनात किया गया था। इसके बाद साल 2015 में इसकी तैनाती सीरिया में की गई ताकि यह रूसी और सीरियाई नौसेना और हवाई संपत्तियों की रक्षा कर सके। इसे क्रीमीन प्रायद्वीप में भी तैनात किया गया है।
भारत के लिए एस-400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि यह पाकिस्तान और चीन के मिसाइल हमलों को विफल करने में भारतीय सेना को सक्षम बनाएगा। चीन ने साल 2015 में रूस से एस-400 सिस्टम की छह बटालियन खरीदने का समझौता किया था। इस साल के जनवरी में इसकी डिलीवरी भी रूस ने शुरू कर दी है। चीन द्वारा इस रक्षा खरीद को इलाके में गेमचेंजर के तौर पर देखा गया था। इस मामले में भारत का पक्ष बहुत सीमित था क्योंकि भारतीय एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की क्षमता कम दूरी की थी। अब माना जा रहा है कि एस-400 की खरीद से भारतीय रक्षा प्रणाली बहुत ताकतवर हो जाएगी और दो मोर्चों पर आक्रमण को एकसाथ विफल कर सकेगा। अक्टूबर 2015 में भारतीय रक्षा खरीद परिषद ने कुल 15 एस-400 को खरीद की मंजूरी दी थी लेकिन बाद में उसे रक्षा जरूरतों के मुताबिक पांच कर दिया गया।