उत्तराखंड के चमोली में आई जल प्रलय ने कई लोगों की जान ले ली और 100 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। तपोवन की सुरंग में लगभग 170 लोगों के फंसे होने की आशंका है और 32 शव निकाले जा चुके हैं। अभी तक इस आपदा की पुख्ता वजहों का पता नहीं चल सका है। वैज्ञाानिकों की टीम घटनास्थल से जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज से 55 साल पहले इसी इलाके में अमेरिका ने प्लूटोनियम डिवाइस लगाई थी। कहीं इस जलप्रलय की वजह यही तो नहीं?

नंदा देवी के पास लगाई गई इस डिवाइस को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी चिंता जाहिर की थी। उस वक्त वह भारत के विदेश मंत्री थे। उन्होंने कहा था कि प्लूटोनियम डिवाइस हिमस्खलन में कहीं खो गई। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत इस डिवाइस को तलाश करने की कोशिश करेगा और अगर ज़रूरत पड़ी तो दूसरे देशों कम की मदद भी ली जाएगी। वाजपेयी ने कहा था, ‘मैं उन थ्योरी में यकीन नहीं करता जिसमें कहा गया है कि इस डिवाइस से कोई खतरा नहीं है।’

बता दें कि चीन के परमाणु अभियान पर नजर रखने के लिए नंदा देवी में दो प्लूटोनियम डिवाइस लगाई गई थीं। एक 1964 में तो दूसरी 1967 में प्लांट की गई थी लेकिन कुछ दिन बाद ही हिमस्खलन में दोनों खो गईं। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी की सहमति के बाद ही ये डिवाइस लगाई गई थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने चीन की हरकतों पर नजर रखने के लिए नंदा देवी पर्वत में यह डिवाइस लगाने की योजना बनाई थी। तूफान ऊंचाई और खतरे की वजह से इसे सही जगह नहीं लगाया जा सका। कहा जाता है कि इसी तूफान में यह डिवाइस भी कहीं खो गई और बाद में भारतीय टीम की जद्दोजेहद के बाद भी नहीं मिली।

ग्लेशियर की कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं जिससे पता चल रहा है कि 6 फरवरी को ग्लेशियर के एक हिस्से में दरार आ गई थी और बाद में 8 फरवरी को यह टूट गया। यह हिमखंड 5600 मीटर की ऊंचाई से टूटकर गिरा और इस वजह से आपदा आई। माना जा रहा है कि 14 स्क्वायर किलोमीटर का हिमखंड टूटने की वजह से यह सैलाब आया था।