प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक देश,एक हेल्थ कार्ड’ की बात कही थी। अब सरकार इस बात को जमीन पर उतारने के लिए कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि एक हेल्थ कार्ड में एक व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुड़ी सारी जानकारी एक जगह जमा होगी। माना जा रहा है कि सिविल एविएशन क्षेत्र में यह एक तरह से हेल्थ पासपोर्ट के तौर पर काम करेगा। योजना है कि देश के सभी लोगों का हेल्थ से जुड़ा डेटा एक जगह इकट्ठा किया जाएगा। केंद्र सरकार इस डेटा को सुरक्षित रखने के लिए भी काम कर रही है। जानकार बताते हैं कि ब्लॉकचेन के जरिए इस डेटा को सुरक्षित रखा जा सकता है।
विशेषज्ञों की मानें तो अगर देश में कोई एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाकर रहता है और उसकी स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी नेटवर्क में रहती है तो नई जगह पर डॉक्टर उसके डेटा रिकॉर्ड देख सकते हैं। एक हेल्थ कार्ड के जरिए डॉक्टर किसी भी नागरिक की पूरी हेल्थ हिस्ट्री देख सकेंगे। दरअसल, कई बार डेटा रिकॉर्ड सही से ना संभाल कर रखने की वजह से जांच सही से नहीं हो पाती है और डॉक्टर भी आकलन सही से नहीं कर पाते हैं।
जानकारों की मानें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से डेटा सीधे तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क से जुड़ सकता है। जो भी अस्पताल या मेडिकल संस्थान इस चेन नेटवर्क का हिस्सा बनना चाहते हैं वही इस नेटवर्क में अपना डेटा शेयर करेंगे। यही नहीं किसी दूसरे देश द्वारा ब्लॉकचेन नेटवर्क को हैक पर कर पाना भी मुश्किल है।
हेल्थ कार्ड में मरीजों का डेटा लेने के लिए उनकी सहमति का भी ध्यान रखा जाएगा। हेल्थ कार्ड का इस्तेमाल हेल्थ पासपोर्ट की तरह भी किया जा सकेगा। हेल्थ कार्ड के जरिए आपकी मेडिकल हिस्ट्री की विश्वसनीयता बनी रहेगी जो कि विदेश में इलाज कराने या दूसरे कामों में मदद करेगा।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री ने 74 वें स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से नेशनल डिजिटल मिशन की घोषणा की थी। जिसके अंतर्गत उन्होंने हेल्थ आईडी कार्ड 2021 के बार में जानकारी देशवासियों के साथ साझा की थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह योजना स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी क्रांति लेकर आएगी।

