मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) पर सरकार के खिलाफ विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। कांग्रेस पार्टी के सदस्य रंजन गोगोई द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव पर बहस के लिए मंजूरी मिल गई है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तारीख के बारे में जानकारी देंगे। मंगलवार शाम लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया को सदन में विपक्ष द्वारा लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी थी। आइए आपको बताते हैं क्या है अविश्वास प्रस्ताव?

क्या है अविश्वास प्रस्ताव? (What is no confidence motion?)

संसदीय लोकतंत्र में कोई भी सरकार तभी तक सत्ता में रह सकती है, जब तक उसके पास निर्वाचित सदन (लोकसभा) में बहुमत है। हमारे संविधान का आर्टिकल 75(3) इस नियम को स्पष्ट करता है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। लोकसभा का कोई भी सदस्य, जो अविश्वास प्रस्ताव के लिए 50 सांसदों का समर्थन जुटा लेता है, वो कभी भी मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को मंजूरी मिलने के बाद संसद में इस पर चर्चा होती है। अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसद सरकार की कमियां हाईलाइट करते हैं और ट्रेजरी बेंच उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्रतिक्रिया देती है।

अविश्वास प्रस्ताव पर होता है वोट

अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा के बाद वोटिंग की जाती है। अगर लोकसभा के ज्यादातर सदस्य सरकार के समर्थन में वोट करते हैं तो सरकार जीत जाती है और सत्ता में बनी रहती है। इसके उलट अगर अधिकतर सांसद अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट करते हैं तो सरकार गिर जाती है।

क्या मोदी सरकार के ऊपर है कोई खतरा?

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था। बीजेपी के 303 सांसद हैं। एनडीए के सांसदों को संख्या 331 है जबकि विपक्ष के I.N.D.I.A. गठबंधन के पास 150 से भी कम सांसद हैं। अगर BRS, YSR कांग्रेस और BJD के सांसदों को मिला भी दिया जाए तो भी यह संख्या एनडीए से कम है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय है।

अविश्वास प्रस्ताव गिरना तय को विपक्ष ने क्यों लिया यह फैसला?

मीडिया से बातचीत में लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर ने कहा कि यह विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A. का विचार है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि सरकार के अहंकार को तोड़ने और मणिपुर के मुद्दे पर बोलने को विवश करने के लिए (अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को) आखिरी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाए।

देश में अब तक लाए गए 27 अविश्वास प्रस्ताव

भारत के इतिहास में अब तक 27 अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं। मोदी सरकार के खिलाफ जुलाई 2018 में आखिरी अविश्वास प्रस्ताव आया था। यह प्रस्ताव बुरी तरह से फेल हुआ था। एनडीए को 325 जबकि विपक्ष के प्रस्ताव को 126 वोट मिले थे। देश में पहला अविश्वास प्रस्ताव साल 1963 में पंडित नेहरू के खिलाफ लाया गया था। यह प्रस्ताव कांग्रेस नेता आचार्य कृपलानी लाए थे और यह गिर गया था। इंदिरा गांधी के खिलाफ 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था और वो हर बार अपनी सरकार बचाने में सफल रही थीं।