केंद्र सरकार ने संसद में नया आपदा प्रबंधन संशोधन बिल लेकर आई थी। दिसंबर में यह कानून लोकसभा में पास हो गया था। अब राज्यसभा में भी इस बिल को ध्वनिमत से पास करा लिया गया। नए कानून में कई संशोधन किए गए हैं। मुआवजे को लेकर हुए संशोधन को लेकर विपक्ष ने आपत्ति जताई है। इस बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होना बाकी है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह बिल कानून बन जाएगा।

किसलिए लाया गया यह बिल?

यह बिल आम लोगों की जिंदगी से जुड़ा है। 1999 में ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन, 2001 में गुजरात के भुज के भूकंप और 2004 में आई भयंकर सुनामी के बाद केंद्र सरकार आपदा प्रबंधन कानून लाई थी। प्राकृतिक आपदाओं के कारण पिछले साल देशभर में 3 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। लाखों लोग बेरोजगार भी हो गए। हजारों की संख्या में मवेशियों की भी कोई जानकारी नहीं मिल पाई। ऐसी ही घटनाओं को लेकर केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए कुछ बदलाव किए हैं। लोकसभा के बाद अब इस बिल को राज्यसभा में पास करा लिया गया है।

क्या हुआ बदलाव?

नए आपदा प्रबंधन कानून में कई बदलाव किए गए हैं। 2005 के कानून में संशोधन के बाद एनडीएमए (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी – राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) और एसडीएमए (स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी – राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) को और सशक्त किया है। इसके अलावा निचले स्तर पर भी कई बदलाव हुए हैं। जिला स्तर पर डिजास्टर मैनेजमेंट इकाई बनाने का प्रावधान किया है। ऐसे में जिला स्तर पर ही ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए योजनाएं बनाई जा सकेंगी।

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नए कानून की बड़ी बातें

नए कानून की सबसे अहम बात एनडीआरएफ – नेशनल डिजास्टस रिस्पॉंस फोर्स का गठन है। केंद्र सरकार ने इस बिल में दावा किया है कि 2005 के कानून में संशोधन राज्यों की तरफ से पेश आ रही परेशानी और उनके कुछ सुझाओं के आधार पर लिया गया है। राज्य स्तर पर ओडिशा और गुजरात में डिजास्टर रिस्पोंस फोर्स मौजूद है। इसके अलावा कुछ ही राज्यों में इस दिशा में काम हुआ है। अब नए कानून के बाद सरकार इसी तरह की टीम दूसरे राज्यों में लागू करने की तैयारी में है।

विपक्ष क्यों उठा रहा सवाल?

विपक्ष का आरोप है कि नए कानून से राज्य की शक्तियां कम हो जाएंगी। विपक्ष ने इस बिल को लेकर संसद में कई सुझाव भी दिए थे लेकर उन्हें खारिज कर दिया गया। विपक्ष की आपत्तियां हैं कि नए संशोधनों के बाद केवल बड़े पैमाने पर संगठन बन जाएंगे लेकिन ठोस कुछ करने की व्यवस्था नहीं की गई है। इस बिल में ‘मुआवजे’ की जगह वए कानून में ‘राहत’ लिख दिया गया है, जो लोगों के लिए सही नहीं है। वहीं जलवायु परिवर्तन को भी इस बिल से दूर रखा गया है।