IIM Bill: लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से आईआईएम बिल (IIM Bill) पास हो गया है। इस बिल के पास होने के बाद इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) की प्रबंधन की जवाबदेही राष्ट्रपति को दे दी गई है। बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति आईआईएम के विज़िटर यानि कुलाध्यक्ष होंगे। अब भारत के राष्ट्रपति के पास आईआईएम के कामकाज का ऑडिट करने, जांच का आदेश देने और निदेशकों को नियुक्त करने के साथ हटाने की भी शक्ति दी गई है। बता दें कि पहले से ही राष्ट्रपति आईआईटी और एनआईटी के विज़िटर हैं। आईआईएम विधेयक कानून बनने के लिए महामहिम द्रौपदी मुर्मू के सामने पेश किया गया है।

राष्ट्रपति को दिया गया ये अधिकार

लोकसभा में बिल पेश करते वक्त शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस बिल का मकसद संस्थान से शैक्षणिक जिम्मेदारी को छीनना नहीं है, बल्कि इसके प्रबंधन को सुनिश्चित करना है। केंद्र सरकार ने आईआईएम को 6,000 करोड़ की लागत से बनवाया है। धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में कहा कि मौजूदा व्यवस्था के तहत राष्ट्रपति आईआईटी और एनआईटी के विजिटर भी है लेकिन इन संस्थानों की शैक्षणिक स्वायत्ता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि “विजिटर किसी भी संस्थान के काम और प्रगति की समीक्षा करने, उसके मामलों की जांच करने और विजिटर द्वारा निर्देशित तरीके से रिपोर्ट करने के लिए एक या एक से अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है। बोर्ड विजिटर को उस संस्थान के खिलाफ उचित जांच की सिफारिश भी कर सकता है जो अधिनियम के प्रावधानों और उद्देश्यों के अनुसार काम नहीं कर रहा है।”

अभी तक क्या थी व्यवस्था

बता दें कि फिलहाल आईआईएम के निदेशक की नियुक्ति सर्च कम सिलेक्शन कमिटी की सिफारिशों के आधार पर बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा की जाती है। संसद से पारित किए गए इस बिल के बाद बोर्ड को संस्थान का निदेशक नियुक्त करने से पहले विजिटर की मंजूरी लेने का आदेश देता है। आईआईएम अपने फैकल्टी और पाठ्यक्रम के विषय में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। 2017 के नियम के अनुसार आईआईएम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में 19 सदस्य होते हैं, जिनमें से दो राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं, जबकि 17 अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों और पूर्व छात्रों के बीच चयनित होते हैं।