Republic Day Flag Hoisting: भारत में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व हैं। इन दोनों दिनों को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, और इन अवसरों पर राष्ट्र ध्वज का सम्मान अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। लेकिन हममें से बहुत लोगों को यह नहीं पता होगा कि ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने में क्या अंतर है।
राष्ट्रीय झंडे के साथ दो तरह के व्यवहार का क्या है अर्थ
ध्वजारोहण का मतलब है ध्वज को पोल के आधार से ऊपर उठाना, ताकि यह हवा में लहरा सके। इसे आमतौर पर किसी औपचारिक अवसर पर किया जाता है। इसके विपरीत ध्वजा फहराने का मतलब है पहले से बंधे हुए ध्वज को एक रस्सी से खींचकर फैलाना। इस प्रक्रिया में ध्वज पहले से पोल पर स्थित होता है और इसे सिर्फ सही तरीके से खींचकर तना जाता है।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वज का सम्मान
स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है, और इस दिन प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं। इस दिन एक औपचारिक कार्यक्रम आयोजित होता है, जिसमें ध्वज को पोल से उठाया जाता है और राष्ट्रगान बजते समय सैन्य या नागरिक सम्मान गार्ड इसे उठाते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण भारत की ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता, देशभक्ति और एक नए राष्ट्र के रूप में जन्म का प्रतीक है।
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है, और इस दिन भारत के राष्ट्रपति ध्वजा फहराते हैं। गणतंत्र दिवस पर ध्वज को पहले लपेट कर ध्वजस्तंभ के शीर्ष पर बांध दिया जाता है, और फिर राष्ट्रपति इसे फहराते हैं। यह भारतीय गणराज्य की स्थापना, लोकतांत्रिक शासन प्रणाली और देश की उन्नति के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
हालांकि ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने की प्रक्रिया अलग-अलग है, लेकिन इन दोनों समारोहों का उद्देश्य एक ही है – भारत की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों ही हमारे इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ हैं, और इन दिनों पर ध्वज के सम्मान के माध्यम से हम अपनी स्वतंत्रता, देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता को सलाम करते हैं।
इन पर्वों के दौरान ध्वजारोहण और ध्वजा फहराने के अलग-अलग तरीके भारत की सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक धरोहर को जीवित रखते हैं, और यह हमें हमारे देश के विकास और स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाते हैं।