G-20 Summit: दिल्ली में चल रहे जी-20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भारत आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन शुक्रवार शाम करीब 7 बजे दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति अपने खास विमान एयरफोर्स-1 से भारत पहुंचेंगे। जो बाइडेन के आने से पहले ही हवा से लेकर सड़क तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किया गया है। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस और व्हाइट हाउस की टीम एक महीने से भारत में डेरा डाले हुए है। अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा में सैकड़ों एजेंट और अफसर तैनात हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति तीन दिन भारत में रुकेंगे। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जिस देश में भी जाते है,वहां का सिक्योरिटी प्रोटोकॉल बेहद सख्त रखा जाता है। वह जिस विमान से यात्रा करते हैं, उसकी गिनती दुनिया के सबसे सुरक्षित विमान में होती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति एयरफोर्स-1 से भरते हैं उड़ान
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन दूसरे देश में यात्रा करने के लिए एयरफोर्स-1 विमान का इस्तेमाल करते हैं। इस विमान को उड़ता पेंटागन भी कहा जाता है। एयरफोर्स-1 विमान के साथ कई विमानों का काफिला रहता है। एयरफोर्स-1 के भारत में लैंड करने के साथ ही इसी तरह का एक और विमान भी साथ आता है। हालांकि इस विमान को सीक्रेट लोकेशन पर स्टैंडबाय में रखा जाता है। विमान में खराबी आने या आपात स्थिति में दूसरे विमान का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या है एयरफोर्स वन की खासियत?
अमेरिकी राष्ट्रपति का एयरफोर्स-1 विमान 747-200B सीरीज का है। इस विमान के अंदर ही अस्पताल, ऑफिस और किचन समेत कई अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। एयरफोर्स-1 विमान में तीन फ्लोर होते हैं। इनका कुल क्षेत्रफल 4,000 वर्गफीट होता है। इस विमान में 102 लोग एक साथ सफर कर सकते हैं। इस विमान के एक हिस्से को अस्पताल की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें डॉक्टर की एक टीम हमेशा तैनात रहती है। विमान के अंदर जो बाइडन के लिए एक ऑफिस भी बनाया गया है और राष्ट्रपति के आराम करने के लिए प्रेजिडेंशियल सूइट भी मौजूद है। वहीं साथ चल रहे लोगों के लिए भी कमरे बनाए गए हैं।
मिसाइल और न्यूक्लियर हमले से बचने में सक्षम
एयरफोर्स-1 विमान एक बार में 12,000 किमी से अधिक दूरी तय करने में सक्षम है। जरुरत पड़ने पर विमान में हवा में ही फ्यूल रिफिल किया जा सकता है। एयरफोर्स-1 विमान किसी भी तरह के हमले से बचने में पूरी तरह सक्षम है। एयरफोर्स-1 पर न तो किसी मिसाइल से अटैक किया जा सकता है और न ही न्यूक्लियर बम से। अगर अटैक कर भी दिया तो विमान उससे बचने में सक्षम है। बता दें कि इस विमान को कभी भी एयरपोर्ट पर पार्क नहीं किया जाता है। यह विमान जहां लैंड करता है, वहीं खड़ा रहता है।
आपात परिस्थिति में एयरफोर्स-1 मिनटों में उड़ान भर सकता है। एयरफोर्स-1 के उड़ान भरने से ठीक पहले एक कार्गो विमान उड़ान भरता है। इस विमान में वायुसेना के हेलीकॉप्टर, राष्ट्रपति की बख्तरबंद कार द बीस्ट, हथियार और सुरक्षा कर्मी मौजूद होते हैं। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति के सुरक्षा प्रोटोकॉल को तीन चरणों में बांटा जाता है। इसमें ट्रैवल रूट की तैयारी, खतरे की आशंका और होटल में सुरक्षा इंतजाम शामिल होता है। एयरफोर्स-1 से उतरने के साथ ही योजना स्थल तक पहुंचने की व्यवस्था राष्ट्रपति की टीम ही संभालती है।
एयरफोर्स-1 के साथ उड़ते है 6 बोइंग सी 17 विमान
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के एयरफोर्स-1 विमान के साथ 6 बोइंग सी 16 विमान भी उड़ते हैं। राष्ट्रपति के काफिले में एक हेलीकॉप्टर भी होता है। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के एजेंट और लोकल एजेंसी राष्ट्रपति के काफिले का रास्ता तय करती है। रूट तय करते वक्त ही आपात परिस्थिति में बचकर निकलने का रूट भी तय कर लिया जाता है। राष्ट्रपति जहां भी रुकते हैं वहां से अस्पताल की दूरी 10 मिनट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।