भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्सर्वादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 साल की उम्र में निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से एम्स में भर्ती थे। निधन के बाद परिवार वालों ने उनकी बॉडी एम्स को दान कर दी। अब उनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। किसी भी व्यक्ति की बॉडी के दान होने से कई लोगों को नई जिंदगी मिल सकती है। कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर बॉडी डोनेट होने के बाद उसका क्या किया जाता है? वह किस काम में आती है और इसे डोनेट करने की प्रक्रिया क्या है। इस आर्टिकल में इसे विस्तार से समझते हैं।

भारत में अंगदान को लेकर क्या है कानून?

भारत में मानव अंगों के ट्रांसप्लांट या उनके सर्जिकल रिमूवल को लेकर ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशू एक्ट (Transplantation of Human Organs & Tissues Act) वर्ष 1994 में पास हुआ था। इसमें किसी भी तरह से मानव अंगों की तस्करी पर बैन लगाया गया। इस पर सख्त कानून बना है। किसी भी व्यक्ति के ब्रेन डेड होने पर उसका एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसके बाद परिवारवालों की सहमति से ही उसके अंगों को दान किया जा सकता है। इसके लिए एक रेगुलेटरी बॉडी भी बनी है।

बॉडी डोनेट होने की क्या है प्रक्रिया?

बॉडी डोनेट दो तरीके से की जा सकती है। पहला कोई भी व्यक्ति मौत से पहले अंगदान का संकल्प ले सकता है। वह एक फार्म भरकर ऐसा कर सकता है। इसमें दो गवाहों की जरूरत होती है। जिसमें एक उसका करीबी रिश्तेदार होना चाहिए। वहीं मौत के बाद परिवार वाले भी अपने करीबी का अंगदान कर सकते हैं। हालांकि किसी भी व्यक्ति की मौत के बाद किन-किन अंगों को दान किया जा सकता है, यह इस बात पर निर्भर होता है कि उसकी बॉडी को मौत के कितने समय बाद दान किया गया है।

बॉडी डोनेट होने के बाद उसका क्या होता है?

किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी बॉडी में तेजी से बदलाव होने लगते हैं। वह तेजी से डीकम्पोज होने लगती है। इससे बचाने के लिए एक लेप लगाकर लखा जाता है। इस प्रक्रिया को फॉर्मेलिन कहा जाता है। इससे बॉडी लकड़ी जैसी हो जाती है। इसे बॉडी से बैक्टीरिया या कीटाणु को खत्म करने के लिए किया जाता है। पूरी बॉडी पर इंबाल्मिंग फ्लूड लगाया जाता है। लेप लगाने के साथ ही बॉडी में इसे इंजेक्ट भी किया जाता है। बाद में यह बॉडी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट की पढ़ाई के काम आती है। ऐसा नहीं है कि एक बार यह लेप लगाने के बाद बॉडी हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाती है। बल्कि हवा से संपर्क में आने के बाद यह नष्ट होने लगती है। कई बार इसे परिजनों को सौंप दिया जाता है, तो कई बार जलाने के बाद अस्थियां परिवार को सौंप दी जाती हैं।

शरीर के किन-किन अंगों को किया जा सकता है दान?

शरीर के किन-किन अंगों को दान किया जा सकता है, यह कई बातों पर निर्भर करता है। सबसे पहले आपको बता दें कि किसी भी व्यक्ति की मौत या उसके ब्रेन डेड होने पर ही अंगों को दान किया जा सकता है। व्यक्ति के ब्रेन डेथ होने पर उसके हार्ट, लीवर, किडनी, आंत, फेफड़े और इंटेस्टाइन को दान किया जा सकता है। वहीं प्राकृतिक मृत्यु होने पर कॉर्निया, हृदय वाल्व, स्किन और हड्डियों को दान किया जा सकता है। हालांकि टिश्यू और ऑर्गन दान करने के लिए अलग नियम होते हैं।

मौत के कितने समय बाद तक ट्रांसप्लांट हो सकते हैं अंग

किसी भी व्यक्ति की मौत के 4 घंटे तक उसके हार्ट, 4 से 6 घंटे तक फेफड़े, 6 घंटे तक आंत, 6 घंटे तक पैंक्रियाज, 24 घंटे तक लिवर, 72 घंटे तक किडनी, 14 दिन तक कॉर्निया, 5 साल तक हड्डी और स्किन वहीं 10 साल तक हार्ट के वॉल्व को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।