पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रदेश का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है, जिसके अनुसार पश्चिम बंगाल का नाम बंगाली में ‘बांग्ला’, अंग्रेजी में ‘Bengal’ और हिंदी में बंगाल हो जाएगा। प्रस्ताव को सदन में मंजूरी मिलने के कुछ देर बाद ही प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हुए ये भी कहा कि सरकार राज्य का नया लोगो भी तैयार करेगी। प्रदेश का नाम बदलने के प्रस्ताव को संसदीय मामलों के मंत्री पार्था चटर्जी ने पास किया। हालांकि विधानसभा में प्रस्ताव पास होने के बाद केंद्र को संसद के दोनों सदनों से दो -तिहाई बहुमत से प्रस्ताव को सहमति लेनी होगी, जिसके बाद केंद्र प्रदेश का नाम बदलने के लिए नोटिफिकेशन जारी करेगा।
वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि लोगों ने बंगाल और बांग्ला नाम को अपना लिया है जिसे उनके बोलने के तरीके से ही पहचाना जा सकता है। आम आदमी हमेशा ये दो शब्द ही इस्तेमाल करता है। बनर्जी ने ये भी कहा कि प्रदेश का नाम बदलने का विरोध करके सीपीआई(एम) और कांग्रेस ने बहुत बड़ी गलती की है और सोमवार कांग्रेस-सीपीआई(एम) के इतिहास में शर्म के दिन के रुप में दर्ज होगा। वहीं संघ और बीजेपी नेताओं ने भी नाम बदलने के प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने पहले भी प्रस्ताव के विरोध में केंद्रीय गृहमंत्री से बातचीत की थी।
हालांकि प्रस्ताव पेश करना तृणमूल कांग्रेस के लिए सिर्फ एक औपचारिकता थी, क्योंकि पार्टी को प्रदेश में 294 सीटों में से 211 सीटों के साथ बहुमत प्राप्त है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष दिलीप घोष ने पहले हिंदुस्तान टाइम्स से कहा था कि उन्होंने संसद में बिल को पेश नहीं करने के लिए अनुरोध किया था क्योंकि यह 1947 के विभाजन की याद को मिटा देगा। बता दें कि जब तृणमूल कांग्रेस 2011 में पहली बार सत्ता में आई थी तो बनर्जी नाम बदलने को लेकर काफी उत्साहित थीं, लेकिन विपक्ष की ओर से विभाजन को लेकर सामने आई कठिनाइयों के बारे में बताने के बाद उन्होंने इस मुद्दे को दबा दिया था। वहीं बंगाल के पढ़े लिखे और मिडिल क्लास लोग पहले से ही नाम बदलने की बात को बल रहे हैं।

