पश्चिम बंगाल में सरकारी कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं के साथ असंवेदनशील व्यवहार देखने को मिला। राज्य के नादिया में पोषण जागरूकता पर एक कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं को सजी हुई थाली के सामने बैठा कर फोटो खींचने की खानापूर्ति की गई। इसके बाद महिलाओं को खाने का पैकेट देकर वहां से रवाना कर दिया गया।
टेलीग्राफ की खबर के अनुसार इस मामले में सात महीने की गर्भवती महिला मौमिता के पति बिस्वजीत संधूखान ने शिकायत दर्ज कराई है। महिला के पति का कहना है कि शांतिपुर में आयोजित सुपुष्टि कार्यक्रम में जिस तरह से उनकी पत्नी के साथ व्यवहार किया गया उससे उन लोगों को उत्पीड़ित महसूस हुआ।
शिकायत के बाद कई अन्य लोग भी इसके विरोध में सामने आए हैं। कार्यक्रम में करीब 20 गर्भवती महिलाएं शामिल हुई थीं। यह कार्यक्रम समेकित बाल विकास सेवा के तत्वावधान में आयोजित किया गया था। इस मामले में शिकायतकर्ता ने कहा कि महिलाओं को सभी महिलाओं को एक-एक कर भोजन से सजी थाली के सामने बैठने को कहा गया। इसके साथ ही उनकी तस्वीरें भी खींची गईं।
थाली में दाल, चावल, चार तरह की सब्जी रखी हुई थी। फोटो खींचने के बाद महिलाओं को वहां से जाने को कहा गया। इसके साथ ही महिलाओं को खाने का पैकेट थमा दिया गया। पैकेट में अंडा और चावल रखा था। महिलाओं से कहा गया कि वह इसे घर जाकर ही खाएं। हाउस वाइफ मौमिता ने कहा कि मैं यहां खाने के लिए नहीं आई थी।
उन्होंने बताया कि अधिकारियों का इस तरह से खेदजनक व्यवहार देखते हुए मैंने खाने का पैकेट लेने से भी इनकार कर दिया। मौमिता ने कहा कि जब मैं प्लेट के सामने बैठी हुई थी तो मुझसे अचानक उस खाने को नहीं छूने को कहा गया। बताया गया कि यह सिर्फ दिखाने के लिए है।
अधिकारियों ने इसी प्लेट का प्रयोग अन्य महिलाओं की फोटो खींचने में किया। फोटो खींचने के बाद उन्होंने प्लेट को वहां से हटा दिया। महिला के पति ने आईसीडीएस परियोजना के अधिकारियों के इस व्यवहार को पूरी तरह से ‘अमानवीय’ बताया। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में शिशु मृत्यु दर साल 2011 के 40 (प्रति 1000 शिशु) के मुकाबले साल 2016 में घट कर 28 पर आ गई थी। मामला सामने आने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।