पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार (2 जुलाई 2019) को आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी। केंद्र और राज्य सरकार की नौकरियों और शिक्षण संस्‍थानों में दाखिले में ईडब्ल्यूएस वर्ग को इसका फायदा मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और कांग्रेस ने ममता बनर्जी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। लेकिन इसके साथ ही संभावित लाभार्थियों की पहचान करने की प्रक्रिया पर चिंता व्यक्त की।

विपक्षी दलों की इस चिंता पर ममता सरकार में मंत्री और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता पार्थ चटर्जी ने कहा ‘यह एक एतिहासिक फैसला है। कौन लोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हैं इसकी पहचान के लिए कई कारक मौजूद हैं। इन विवरणों का उल्लेख सरकारी आदेश में है जिसे जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा।’ वहीं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राजिब बनर्जी ने कहा कि यह आरक्षण सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है। उन्होंने कहा ‘एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की व्यवस्था वैसी ही रहेगी जैसे पहले थी। यह नया कोटा उन लोगों के लिए है जो इन तीन वर्गों में नहीं आते।’

वहीं राज्य विधानसभा में भाजपा के नेता मनोज तिग्गा ने राज्य सरकार के इसे देरी से लागू करने पर आलोचना की है। उन्होंने कहा ‘अगर ममता सरकार इसे पहले ही लागू कर देती तो लोगों को इस साल कॉलेज एडमिशन और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का फायदा मिलता। लेकिन हमें खुशी है कि राज्य सरकार केंद्र के नक्शेकदम पर चल रही है। हमें चिंता है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की पहचान की प्रक्रिया को भ्रष्टाचार प्रभावित न करें।’

मालूम हो कि 6 महीने पहले केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी थी। इसे विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में आनन-फानन में पास करवाया गया। गुजरात इस आरक्षण व्यवस्था को मंजूरी देने वाल पहला राज्य था। जिसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, असम, झारखंड और महाराष्ट्र में यह लागू हुआ। हाल ही में मध्‍य प्रदेश सरकार ने भी इसको मंजूरी दी थी।