‘कट मनी’ के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार विरोधियों के निशाने पर है। इस बीच, एक वारदात तृणमूल शासन के लिए खासी किरकिरी साबित हो सकती है। दरअसल, जलपाईगुड़ी जिले में एक महिला के साथ कथित तौर पर एक स्थानीय पंचायत सदस्य और उसे तीन सहयोगियों ने उस वक्त गैंगरेप किया जब पीड़िता ने उससे ‘कट मनी’ वापस मांगा। पुलिस के हवाले से जानकारी मिली है।
मामला 14 अगस्त का है। सूत्रों के मुताबिक, मामले की शिकायत सोमवार को मैनागुड़ी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई। पुलिस के मुताबिक, फिलहाल कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और सभी आरोपी फरार चल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरोपी का नाम मोहम्मद बुलबुल आलम है। उसने कथित तौर पर महिला को गीतांजलि आवास योजना के तहत घर मुहैया कराने का वादा किया था। राज्य सरकार की इस योजना के तहत गरीबों को मुफ्त घर मिलता है।
आलम ने कथित तौर पर महिला से 7 हजार रुपये बतौर ‘कट मनी’ लिए और जल्द ही नया घर दिलाने का वादा भी किया। हालांकि, महिला को न तो घर मिला और न ही आलम ने उसे पैसे वापस मिए। आरोप है कि पीड़ित महिला अपने पैसे वापस पाने के लिए आरोपी पर दबाव बना रही थी।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘शिकायत के मुताबिक, आलम ने 14 अगस्त को महिला को एक सुनसान जगह पर मिलने के लिए कहा था। जब वह वहां पहुंची तो आरोपी और उसके तीन अन्य सहयोगियों ने कथित तौर पर उसका बलात्कार किया।’ सूत्रों के मुताबिक, महिला को यह मामला दबाने के लिए धमकी भी दी गई। हालांकि, जब उसके परिवार को इस बारे में जानकारी मिली तो वे उसे लेकर पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाने पहुंच गए।
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जलपाईगुड़ी के एक सीनियर पुलिस अफसर ने बताया, ‘हमें शिकायत मिली है। पीड़ित महिला का मेडिकल परीक्षण हुआ है। हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। आरोपियों को पकड़ने के लिए तलाश जारी है।’ अन्य तीन आरोपियों की पहचान जैदुल इस्लाम, जैनुल अबदीन और अफीदुल हक के तौर पर हुई है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में ‘कट मनी’ यानी काम के बदले पैसे देने का प्रचलन सामने आया है। दिलचस्प बात यह है कि आरोपों के घेरे में टीएमसी के ही कई नेता और कार्यकर्ता हैं। आरोप है कि छोटी से बड़ी सरकारी योजना का लाभ जनता को देने के लिए उनसे पैसे लिए गए। इस मामले पर तृणमूल को सार्वजनिक तौर पर शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ रहा है।
ममता बनर्जी की मुहिम “दीदी को बोलो” के तहत जनसंपर्क के दौरान स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं की फजीहत बढ़ गई है। दरअसल, स्थानीय नेताओं को “कट मनी” पर लोगों के सवालों का जवाब देना पड़ रहा है। ऐसे में स्थानीय नेतृत्व खुद को इस मुहिम से अपमानित महसूस कर रहा है।