देश के कई हिस्सों में बारिश ने कहर बरपाया है। जहां दिल्ली में यमुना उफान पर है वहीं हिमाचल प्रदेश के हालात तो ज़्यादा ही खराब हैं। पहाड़ी राज्य के मुख्यमंत्री ने लोगों से घरों में रहने की अपील की है। हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। देश के कई हिस्सों से नुकसान की खबरें सामने आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है। 

अब इस भयंकर बारिश के कारणों को लेकर भी कई सवाल किए जा रहे हैं, और कई जवाब भी मौजूद हैं। सीधी सी बात तो यही है कि मानसून के मौसम में बारिश का बरसना स्वाभाविक है लेकिन कहा जा रहा है कि यह बारिश नॉर्मल नहीं है। अगर हालात ऐसे ही रहते हैं तो आगे समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। 

क्या हैं अहम कारण, क्या क्लाइमेट चेंज है वजह 

शनिवार और रविवार के बीच हरियाणा और पंजाब के कई अन्य स्थानों के अलावा रोपड़ में 27 सेमी बारिश हुई, जिससे भयंकर बाढ़ आ गई। रविवार सुबह 8.30 बजे तक हिमाचल प्रदेश के भुंतर में 10 सेमी और मंडी में 8 सेमी बारिश दर्ज की गई। 

पूरे हिमाचल प्रदेश में शनिवार और रविवार की सुबह के बीच सामान्य 8 मिमी की तुलना में 103.8 मिमी बारिश दर्ज की गई। इसी तरह, पंजाब में सामान्य 4.6 मिमी बारिश के मुकाबले 57.5 मिमी बारिश दर्ज की गई। 

मौसम ब्यूरो के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा कि भारी बारिश पश्चिमी विक्षोभ और मानसून के बीच संपर्क के कारण होती है। इस संपर्क के कारण जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी पंजाब और हरियाणा, उत्तराखंड में भारी से बहुत भारी वर्षा हो रही है। जैसा कि हमने अनुमान लगाया था कि जुलाई में अच्छी बारिश होगी, हमने अब बारिश की कमी को पूरा कर लिया है।  पिछले नौ दिनों में जुलाई की अवधि की तुलना में 24% अधिक वर्षा हुई। कल से इन राज्यों में बारिश धीरे-धीरे कम हो जाएगी।

एम महापात्र ने आगे कहा कि भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ हमारा ध्यान मानसून पर जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण प्रभावों की ओर खींचता है। हमें कई मामलों में सुधार करने की ज़रूरत है। नेचर के साथ बेहतर ढंग से पेश आना बहुत ज़रूरी है।

Weather Update Today: बाढ़, बारिश और बर्बादी…आफत बनकर बरसा पानी, 19 लोगों की अब गई जान | Rain News | VIDEO 

जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल के मुताबिक बदलती जलवायु में हम देखते हैं कि पहाड़ी क्षेत्र और वहां के रिहायशी इलाके  चाहे वह हिमालय की तलहटी हो घाट खात तौर से भारी बारिश और भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। नेचर के साथ खिलवाड़ के रहते और  ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव भारी बारिश  सामने आती है और यह नॉर्मल नहीं होती है।