भारत में मानसून के दूसरे चरण में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। भारत में मानसून के दौरान अगस्त और सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने गुरुवार को यह जानकारी दी। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने एक ऑनलाइन प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के आसपास के इलाकों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में अगस्त में सामान्य बारिश होने की संभावना है।

आईएमडी के महानिदेशक ने बताया कि सितंबर में बारिश सामान्य से अधिक होने का अनुमान है। महापात्र ने कहा, “कुल मिलाकर, दक्षिण-पश्चिम मानसून के दूसरे चरण के दौरान देश भर में सामान्य से अधिक वर्षा (422.8 मिमी) होने की संभावना है।” उन्होंने कहा, “भौगोलिक दृष्टि से, देश के अधिकांश भागों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। पूर्वोत्तर के कई भागों और पूर्वी भारत के समीपवर्ती क्षेत्रों के अलावा मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों और प्रायद्वीपीय भारत के दक्षिण-पश्चिमी भागों में सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है।”

जून और जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा हुई

देश में मानसून के पहले चरण यानी जून और जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा हुई और विशेषकर हिमाचल प्रदेश समेत कुछ राज्यों में अचानक बाढ़ आई। देश में 1 जून से 31 जुलाई तक सामान्य 445.8 मिमी के मुकाबले 474.3 मिमी वर्षा हुई, जो 6 प्रतिशत अधिक है। पूर्वोत्तर भारत में, यह सामान्य से कम वर्षा का लगातार पाँचवाँ वर्ष है। पिछले 30 वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों में वर्षा की गतिविधि में गिरावट देखी गई है।

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भौगोलिक दृष्टि से, पूर्वोत्तर और उससे सटे पूर्वी भारत के कई हिस्सों, मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों और प्रायद्वीपीय क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमी इलाकों को छोड़कर, जहाँ सामान्य से कम वर्षा होने की उम्मीद है, अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।” महापात्र ने कहा कि अगले दो हफ्तों में हल्की वर्षा होने की उम्मीद है; हालाँकि, परिस्थितियाँ “ब्रेक मानसून चरण” के मानदंडों को पूरा नहीं करती हैं, जो मानसून के दौरान वर्षा में एक अस्थायी कमी को संदर्भित करता है जब ट्रफ हिमालय की तलहटी की ओर स्थानांतरित हो जाता है।

महापात्र के अनुसार, जुलाई में अच्छी बारिश महीने के उत्तरार्ध में अनुकूल मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) स्थितियों और 28 दिनों तक चलने वाली छह निम्न-दबाव प्रणालियों के निर्माण के कारण हुई। पढ़ें-  सिंधु का पानी अब कश्मीर से होकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली पहुंचेगा; भारत ने शुरू किया यह काम

(इनपुट- पीटीआई/भाषा)