राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कड़ाके की ठंड का कहर जारी है। भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि रविवार (29 दिसंबर, 2019) को दिल्ली के पालम में तापमान सुबह साढ़े पांच बजे 5.4 डिग्री और सफदरजंग में 6.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। विभाग के मुताबिक दिल्ली में आज न्यूनतम तापमान 2 डिग्री और अधिकतम 14 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक रिकॉर्ड तोड़ सर्दी जानलेवा हाइपोथर्मिया बीमारी को बढ़ावा दे सकती है। इसलिए राजधानी के लोगों को डॉक्टरों ने सलाह दी है कि हाइपोथर्मिया से बचने के लिए उचित उपाय करें।
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल एक से छह जनवरी के बीच खतरनाक हाइपोथर्मिया बीमारी से दर्जनों लोगों की मौत हुई थी। हाइपोथर्मिया को आमतौर पर शरीर के 95 डिग्री फारेनहाइट या उससे कम तापमान के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह तब होती है जब बाहर का वातावरण बहुत ठंडा होता है या शरीर में ताप उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। हिंदी अखबार अमर उजाला ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर केके अग्रवाल के हवाले से बताया कि सर्दियों के मौसम में लोग हाइपोथर्मिया से मर सकते हैं। डॉक्टर ने बताया कि जब कोई कंपकंपाता है, इससे पता चलता है कि उक्त शख्स का शरीर बाहर के कम तापमान की स्थिति में शरीर के मूल तापमान को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
अखबार ने कालरा अस्पताल के डॉयरेक्टर डॉक्टर आरएन कालरा के हवाले से बताया कि आमतौर पर प्राकृतिक चिकित्सा में एक कहावत प्रचलित है कि सिर थंडा, पेट नरम और पांव गरम। अगर पैर के तलवे और पैर ठंडे हैं और व्यक्ति कांप नहीं रहा है, तो यह मेडिकल में एक आपातकालीन स्थिति है। इसके विपरीत यदि व्यक्ति कांप नहीं रहा है और पैर गर्म हैं, तो यह चिकित्सीय आपातकाल नहीं है।’
ये होते हैं इस बीमारी के लक्षण
एक व्यक्ति हाइपोथर्मिया से पीड़ित हो सकता है। यदि वह ठंडे तापमान के संपर्क में आ गया है तो धीमी या लड़खड़ाती आवाज, नींद या हाथ और पैर में कंपकंपी या कड़ापन, शरीर की गति पर कमजोर नियंत्रण, धीमी प्रतिक्रिया या कमजोर होती नाड़ी आदि लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
बचाव
इस मौसम में बच्चों को लेकर पहाड़ों पर घूमने जाने से फिलहाल परहेज करें। एक्सपर्ट का कहना है कि दिल्ली में लगातार गिर रहा तापमान नौनिहालों और बुजुर्गों के लिए सबसे ज्यादा चिंता का विषय है। प्रीमेच्योर शिशुओं को भी इस सर्दी में खास सतर्कता की आवश्यकता है। ज्यादा ठंड होने से इन बच्चों का रक्तसंचार तक प्रभावित होता है। साथ ही शरीर भी नीला पड़ने लगता है। इसलिए शिशुओं को जहां तक संभव हो सके बाहरी हवा से बचाकर रखें। सुनिश्चित करें कि आपका घर पर्याप्त गर्म रहे। थर्मोस्टेट को कम से कम 68 से 70 डिग्री पर रखें।
