पंजाब व हरियाणा में पराली जलाना इस सीजन के अपने चरम पर पहुंच गया है, जिससे दिल्ली में वायु गुणवत्ता जहरीली बनी रही। ऐसा हवा में तेजी नहीं होने की वजह से भी हुआ, जिससे प्रदूषकों का बिखराव रुका रहा। सफर इंडिया के मुताबिक, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 412 के साथ राष्ट्रीय राजधानी में समग्र वायु गुणवत्ता सबसे ज्यादा प्रदूषित की बेहद गंभीर श्रेणी में बनी रही।
दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता के गिरते स्तर के मद्देनजर पांच नवम्बर तक स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली में पराली के जलने से प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि दिल्ली के सभी स्कूल पांच नवम्बर तक बंद रहेंगे।’’ उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित पैनल ने शुक्रवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जन स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा करते हुए पांच नवम्बर तक सभी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया।पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने प्रदूषण के ‘बेहद गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने पर पूरी ठंड के दौरान पटाखे फोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
वहीं मौसम से जुड़ी जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक देश के मध्य भागों में महाराष्ट्र के कुछ भागों, मध्य प्रदेश, दक्षिण कोंकण और गोवा व देश के दक्षिणी हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। गुजरात और छत्तीसगढ़ में भी हल्की बारिश संभव है। देश के पूर्वी हिस्सों की बात करें तो मेघालय पर एक चक्रवाती हवाओं का अक्षेत्र बना हुआ है। जिसके चलते मेघालय, मणिपुर और मिजोरम में हल्की से मध्यम बारिश संभव है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो शहर में प्रदूषण का स्तर खराब से बहुत अधिक खराब श्रेणी मापा जा सकता है।
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एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘‘ आंखों से पानी आने, खांसी, सांस में परेशानी, एलर्जी, अस्थमा की परेशानी बढ़ जाने , हृदय संबंधी परेशानियों जैसी शिकायतों के साथ मरीज आ रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा कि जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो इससे बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों पर सबसे बुरा असर पड़ता है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ ही अस्पतालों में सांस संबंधी परेशानी वाले मरीजों की भीड़ बढ़ गयी है। चिकित्सक स्थानीय लोगों विशेषकर बच्चों एवं बुजुर्गों को यथासंभव घर के अंदर ही रहने की सलाह दे रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर शुक्रवार को ‘अति गंभीर’ स्थिति में पहुंच जाने के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रदूषण नियंत्रण निकाय ईपीसीए ने दिल्ली-एनसीआर में जन स्वास्थ्य आपात की घोषणा कर दी है और निर्माण गतिविधि पर पांच नवंबर तक पाबंदी लगा दी है।पिछले तीन दिनों से राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता खराब हो जाने के चलते अस्पतालों के बाह्य रोगी विभागों और आपातकालीन विभागों में सांस एवं हृदय संबंधी दिक्कतों वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है।
दिल्ली के प्रदूषण में शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से निकले धुएं की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत तक पहुंच गयी। सरकारी एजेंसी सफर के अनुसार यह इस साल का सर्वाधिक स्तर है जब राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता का स्तर और गिर गया है।प्रदूषण का स्तर अत्यधिक गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है, ऐसे में उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर काम कर रहे पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने शुक्रवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है और निर्माण गतिविधियों पर पांच नवंबर तक रोक लगा दी है।प्राधिकरण ने कार्यान्वयन एजेंसियों को पंजाब तथा हरियाणा में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तत्काल सख्त कदम उठाने को भी कहा।
दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता के गिरते स्तर के मद्देनजर पांच नवम्बर तक स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया है।दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली में पराली के जलने से प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि दिल्ली के सभी स्कूल पांच नवम्बर तक बंद रहेंगे।’’ उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित पैनल ने शुक्रवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जन स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा करते हुए पांच नवम्बर तक सभी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया।पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने प्रदूषण के ‘बेहद गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने पर पूरी ठंड के दौरान पटाखे फोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
दिल्ली में स्कूल 5 नवम्बर तक बंद रहेंगे। इस बात की जानकारी दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर दी है। सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा “दिल्ली में पराली के बढ़ते धुएँ के चलते प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ गया है. इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि दिल्ली के सभी स्कूल 5 नवम्बर तक बंद रहेंगे।”
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर स्कूलों को बंद करने का फैसला किया जाएगा। नवंबर 2017 में हवा की गुणवत्ता खराब होने की वजह से स्कूलों को सरकार ने कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया था।
एक्यूआई जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी का माना जाता है। 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 401-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एक्यूआई को 'बेहद गंभीर' और आपात श्रेणी का माना जाता है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की वजह से धुंध छा गई और वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’ स्तर पर पहुंच गई। उच्चतम न्यायालय ने दिवाली पर पटाखा छोड़ने के लिए दो घंटे की सीमा तय की थी लेकिन लोगों ने इसके अलावा भी पटाखे छोड़े। दिल्ली की हवा में पटाखों की तेज आवाज के साथ ही जहरीला धुंआ और राख भर गया और कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर’ स्तर को पार गया। लोगों ने मालवीय नगर, लाजपत नगर, कैलाश हिल्स, बुराड़ी, जंगपुरा, शाहदरा, लक्ष्मी नगर, मयूर विहार, सरिता विहार, हरी नगर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, द्वारका सहित कई इलाकों में उच्चतम न्यायालय द्वारा पटाखा छोड़ने के लिए तय दो घंटे की समयसीमा का उल्लंघन करके पटाखे छोड़ने की सूचना दी। नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी निवासियों ने निर्धारित समय के अलावा भी पटाखे छोड़े। लोग शाम आठ बजे से पहले भी पटाखे छोड़ते दिखे हांलांकि इन पटाखें की आवाज कम रही। सरकारी एजेंसियों के मुताबिक रविवार रात 11 बजे दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता का स्तर 327 पर पहुंच गया जबकि शनिवार को यह 302 था।
दिल्ली के वायु की गुणवत्ता में पराली जलाने की भागीदारी का योगदान सीजन के सबसे उच्च स्तर पर रहा। यह बुधवार को 35 फीसदी रहा, इसके गुरुवार को 27 फीसदी रहने व शुक्रवार को 25 फीसदी रहने का पूर्वानुमान है।
बीते तीन दिनों से दिल्ली में हवा के शांत होने से प्रदूषकों का बिखराव नहीं हो रहा है। उत्तर पश्चिम भारत (पंजाब व हरियाणा) में पराली जलने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, यह सफर के मल्टी सेटेलाइट फायर प्रोडक्ट से स्पष्ट है।