दिल्ली हाईकोर्ट ने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के ‘परपोते की विधवा’ सुल्ताना बेगम द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था। उनकी अपील में खुद को कथित तौर पर बहादुर शाह जफर (द्वितीय) का कानूनी उत्तराधिकारी बताया गया था। मांग की गई थी कि राजधानी दिल्ली में मौजूद लाल किले पर उन्हें कब्जा दिया जाए। कार्यवाहक चीफ जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने इस मामले को सुना।

इस याचिका में सुल्ताना बेगम ने हाई कोर्ट के सिंगल जज के दिसंबर 2021 की फैसले को चुनौती दी थी। एक्टिंग चीफ जस्टिस विभू बाखरू और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने देरी की वजह से इस यााचिका को खारिज कर दिया। कोलकाता के पास हावड़ा में रहने वाली बेगम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने पहली बार 2021 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार बात पर ध्यान देगी और आर्थिक मदद करेगी।

क्या कहती हैं सुल्ताना बेगम?

सुल्ताना बेगम मिर्ज़ा बेदार बुख़्त की विधवा हैं। जिनका जन्म 1920 में तत्कालीन रंगून, बर्मा में हुआ था और वे बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय के परपोते थे। उनका निधन 1980 में भारत के शहर कोलकाता में हो गया था।

सुल्ताना बेगम कहती हैं,”हम तलतला में रहते थे और बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में मिलने वाली पेंशन पर जीवन जी रहे थे, जो कुछ सौ रुपये थी। 1984 में मैं अपने बच्चों के साथ हावड़ा चली गई, जहां मैं उन्हें अकेले ही पालने की कोशिश कर रही थी। उनके मरने के बाद, मैंने समय-समय पर काम किया, एक चाय की दुकान चलायी, चूड़ियां बनाईं, लेकिन अब उम्र ने मुझे जकड़ लिया है और मैं ज़्यादातर समय बिस्तर पर ही रहती हूं।”

सुल्ताना बेगम के अनुसार मिर्ज़ा बेदार बुख़्त बहादुर शाह ज़फ़र के अंतिम आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त वंशज थे, जिन्हें शुरू में अंग्रेजों से पेंशन मिलती थी। उनकी याचिका में कहा गया है कि उसके बाद उन्हें ‘केंद्र सरकार, निज़ाम और हज़रत निज़ामुद्दीन ट्रस्ट’ से पेंशन मिली। बेगम ने कहा कि अब वह बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय की कानूनी उत्तराधिकारी होने के नाते हज़रत निज़ामुद्दीन ट्रस्ट से मिलने वाली 6,000 रुपये की पेंशन पर गुज़ारा करती हैं।

‘हम गरीबी में जी रहे हैं’

हावड़ा में एक झोपड़ी में रहने वाली बेगम ने कहा कि उन्हें पैसों की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा, “मेरा एक बेटा और पांच बेटियां हैं। मेरी सबसे बड़ी बेटी की 2022 में मृत्यु हो गई, जिससे अपील दायर करने में देरी हुई। मेरे बच्चे अशिक्षित रह गए, उनमें से कोई भी स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं कर सका और हम गरीबी में जी रहे हैं।”

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बेगम ने 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और आरोप लगाया था कि उनके परिवार को लाल किले के कब्जे से वंचित कर दिया गया था क्योंकि बहादुर शाह जफर द्वितीय – जो 1836 से 1857 तक दिल्ली के सम्राट थे – को निर्वासित कर दिया गया था और 19 सितंबर, 1857 को अंग्रेजों ने लाल किले पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। उन्होंने दावा किया कि उन्हें बहादुर शाह जफर द्वितीय से कानूनी रूप से लाल किला विरासत में मिला है और वह केंद्र सरकार द्वारा इसके कथित अवैध कब्जे के लिए मुआवजे की भी हकदार हैं।