‘हम नरक की जिंदगी जी रहे हैं’, यह शब्द ओल्ड राजेन्द्र नगर में सपने बुनने आए एक छात्र के हैं। जिसने देश में न्याय की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठे न्यायधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है कि देश की राजधानी के जिस हिस्से में रह रहे हैं उसे नरक से कम नहीं आंका जाना चाहिए।
छात्र ने उन अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जिन्हें तीन छात्र की मौत का जिम्मेदार माना जा रहा है। फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि मुख्य न्यायाधीश पत्र को याचिका के तौर पर देखेंगे या नहीं।
नगर निगम की लापरवाही का ज़िक्र
पत्र लिखने वाले छात्र अविनाश दुबे ने राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर जैसे क्षेत्रों में खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर ध्यान दिलाया। जहां हर साल बारिश के मौसम में आम लोग ऐसी ही समस्याओं का सामना करते हैं। छात्र ने लिखा कि ओल्ड राजेन्द्र नगर में हुई मौतें नियमों का पालन नहीं करने की वजह से हुई। जहां बेसमेंट में लाइब्रेरी चलाई जा रही थी जबकि इसकी अनुमति तक नहीं थी।
‘हमें घुटनों तक भरे नाले के पानी में चलना पड़ता है’
छात्र ने लेटर में लिखा,”सर, बारिश के कारण बेसमेंट में पानी भर गया और तीन छात्रों की जान चली गई। मुखर्जी नगर और राजेंद्र नगर जैसे इलाके नगर निगम की लापरवाही के कारण कई सालों से हर साल जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं। हमें घुटनों तक भरे नाले के पानी में चलना पड़ता है।
आज हम जैसे छात्र नरक की जिंदगी जीते हुए अपनी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। छात्र राजधानी के इन इलाकों में नालों के अनुचित रखरखाव पर चिंता जताई।
उसने आगे लिखा,”हम जैसे छात्र किसी भी तरह से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन कल की घटना ने साबित कर दिया कि छात्रों का जीवन सुरक्षित नहीं है। दिल्ली सरकार और नगर निगम हमें ऐसा जीवन जीने के लिए मजबूर करते है।
‘बेहतर जीवन छात्रों का मौलिक अधिकार’
छात्र अविनाश दुबे ने लिखा, “स्वस्थ जीवन जीते हुए पढ़ाई करना हमारा मौलिक अधिकार है। ऐसी घटना चिंताजनक है। हम हर पल ऐसी जिंदगी जी रहे हैं।”