वायनाड में हुए लैंडस्लाइड के बाद हालात भयावह हैं। सबसे बड़ी चिंता मलबे में दबे लोगों की है, मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। कई गांवों का मुख्य रास्तों से संपर्क टूट गया है। NDRF और राज्य सरकार की टीमें बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। चूरलमाला के कई घर समतल हो गए हैं। अस्पतालों में घायलों की भीड़ है। मुंडक्कई और चूरमाला में सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है। मौसम विभाग का कहना है कि बारिश अभी जारी रहने वाली है।
‘उन पत्थरों के नीचे मेरा खून दबा हुआ है’
चूरलमाला के समतल हो चुके घरों और बड़े-बड़े पत्थरों की ओर इशारा करते हुए 68 वर्षीय शिवनंदन कहते हैं कि ‘मेरा खून उन पत्थरों के नीचे दबा हुआ है।’ शिवनंदन और उनके भाई पिछले दो दिनों से अपने छह परिवार के सदस्यों की तलाश में बेचैन हैं। उनकी मां, दो छोटे भाई सभी उस गांव में रहते हैं जो इस सप्ताह की शुरुआत में आए लैंडस्लाइड से तबाह हो गया है। वह उन्हें हर जगह खोज चुके हैं लेकिन मलबा इतना ज़्यादा है कि उनका पता लगाया जाना आसान नहीं है।
वह जानते हैं कि उनके परिवार के जीवित मिलने की संभावना बहुत कम है, लेकिन वे उनके शव वापस पाना चाहते हैं। शिवनंदन कहते हैं, “वे मेरे खून हैं। केवल एक शव ही मिल पाया है, जो छोटे भाई के बेटे का है।”
‘सिर्फ इंतज़ार बचा है’
वायनाड के मेप्पाडी सरकारी अस्पताल में दो दिन तक इंतज़ार करने के बाद वह उस जगह गए थे, जहां परिवार के दबे होने की संभावना है। लेकिन अब तक कुछ भी हासिल नहीं हो सका है। वह कहते हैं,”यहां सिर्फ मलबा और बड़े पत्थर हैं, हम सिर्फ इंतज़ार कर रहे हैं।”
वह कहते हैं,”मैंने पिछले दो दिनों में अस्पताल में आए सभी शवों की जांच की है। मेरे परिवार के सदस्य अभी भी लापता हैं। मैं उनके घरों की तलाशी लेना चाहता हूं जो मलबे से ढके हुए हैं। मुझे उम्मीद है कि कम से कम उनके शव तो मिल ही जाएंगे।”