केरल के वायनाड में इस समय हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। भयंकर लैंडस्लाइड में 200 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है, कई अभी भी दबे हुए हैं, ऐसे में आंकड़ा और ज्यादा बढ़ने वाला है। घायलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। पूरे राज्य में ही इस समय कोहराम मचा हुआ है, सेना का ऑपरेशन जारी है, लेकिन चुनौतियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं।

केरल ही क्यों?

अब एक सवाल सभी के मन में आ रहा है कि आखिर केरल में ही क्यों इस तरह की लैंडस्लाइड देखने को मिली। सबसे ज्यादा घटनाएं तो पहाड़ी इलाकों में होती है, ऐसी खबरें तो हिमाचल-उत्तराखंड से आती हैं, आखिर वायनाड में कैसे इतनी तबाही? अब जानकारों ने इसके कुछ कारण बता दिए हैं। सरल शब्दों में आपको भी समझाने की कोशिश करते हैं कि वायनाड ऐसी तबाही क्यों और कैसे देख रहा है।

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क्यों होती है लैंडस्लाइड?

असल में केरल का जो पश्चिमी इलाका है, वहां पहाड़ मौजूद हैं। केरल में मिट्टी वाले कम और हरे पहाड़ ज्यादा देखने को मिलते हैं। अब दूसरी बात समझने वाली यह है कि केरल में बारिश तो हर साल होती है, रिकॉर्ड भी टूटते हैं। लेकिन लैंडस्लाइड उतनी नहीं होती। इस बार पहले तो बारिश का प्रकोप रहा, फिर उसी वजह से पहाड़ कमजोर पड़े और वायनाड में बड़े स्तर पर लैंडस्लाइड देखने को मिली।

बारिश आखिर कैसे बनती है विलेन?

मौसम विभाग के मुताबिक वायनाड में सोमवार और मंगलवार को 140 एमएम बारिश हुई थी, यह आंकड़ा सामान्य बरसात से पांच गुना तक ज्यादा है। यहां भी अगर अकेले वायनाड की बात करें तो वहां कुछ इलाकों में 300 एमएम तक बारिश हुई है, यह बताने के लिए काफी है कि आखिर क्यों इतने बड़े स्तर पर तबाही देखने को मिली। इसी बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ केरल के असिस्टेंट प्रोफेसर के एस सजिनकुमार कहते हैं कि वायनाड में जो टैरेन होती है, उसकी दो लेयर हैं, पहली चट्टान होती है और उसके ऊपर मिट्टी की दूसरी लेयर। अब जब ज्यादा बारिश होती है, उससे मिट्टी भी गीली पड़ जाती है, ऐसे में चट्टार और मिट्टी का जुड़ाव कमजोर होता चला जाता है। उसी वजह से लैंडस्लाइड होती है। इस बार भी शायद ऐसा ही हुआ है।

वायनाड की भौगोलिक स्थिति

अब होता क्या है कि इन इलाकों में पहले ही चट्टान कमजोर रहती हैं, इसके ऊपर इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर जो विकास किया जाता है, उससे स्थिति और ज्यादा खराब बन जाती है। इस बारे में पूर्व वैज्ञानिक जी शंकर कहते हैं कि ऐसे इलाकों में जुताई बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए। अब यह तो नहीं कहना चाहिए कि इसी वजह से यह लैंडस्साइड होगी, लेकिन भौगोलिक स्थिति को समझते हुए कुछ तो नियम होने ही चाहिए।

क्या करना चाहिए?

बड़ी बात यह है कि वायनाड में इतनी भारी बारिश की प्रिडिक्शन तो पहले ही कर दी गई थी, लेकिन ज्यादा कुछ प्रशासानिक स्तर पर नहीं किया जा सकता। सबसे पहले समझना जरूरी है कि कितनी बारिश से लैंडस्लाइड की स्थिति बन सकती है। उसके बाद ही एक्शन प्लान तैयार होना चाहिए और लोगों को सचेत करना चाहिए।

अमिताभ सिन्हा की रिपोर्ट