वायनाड में हुए लैंडस्लाइड के बाद देश के पहाड़ी राज्य भविष्य के लिए बेहतर योजना तैयार करने की ओर ध्यान दे सकते हैं। इसका एक उदाहरण गोवा है। चीफ मिनिस्टर प्रमोद सावंत ने वायनाड की घटना को गोवा के लिए ‘आई ओपनर’ यानी आंखे खोल देने वाली घटना कहा है। उन्होंने गुरुवार को विभिन्न विभागों को निर्देश दिए हैं कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को छुआ नहीं जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे इलाकों में पहाड़ों की कटाई और निर्माण सख्ती के साथ रोक दिए जाने चाहिए। विधानसभा में
अटेंशन मोशन पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो वायनाड जैसे हालात हो जाएंगे।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने क्या कहा?

लैंडस्लाइड पर हुए एक रिसर्च का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा, “हमने गोवा में चार लैंडस्लाइड हॉटस्पॉट की पहचान की है जो राज्य के उत्तर-पूर्वी और पूर्वी हिस्से में ऊंचाई पर और पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों के निचले इलाकों में मौजूद हैं।” गोवा में लैंडस्लाइड का मुख्य कारण ज़्यादा बारिश की घटनाएं, अस्थिरता और भूवैज्ञानिक कारणों को माना गया है। लैंडस्लाइड के संभावित कारणों के विश्लेषण से पता चला है कि बारिश से लैंडस्लाइड की घटना सबसे ज़्यादा बार होती है।

आम आदमी पार्टी के विधायक वेन्ज़ी विएगास ने दावा किया कि राज्य के कई हिस्सों में पहाड़ काटे जा रहे हैं। उन्होंने पूछा, “क्या हमारे पास जांच का कोई ऐसा तरीका है? खासकर अगर पहाड़ काटने की अनुमति अवैध तरीके से दी जाती है? तो उसपर हम क्या कर रहे हैं? हम भूस्खलन को कैसे कम कर सकते हैं? क्या हम पहाड़ काटकर होटल और घर बनाने से रोकने के लिए तैयार हैं? क्या सरकार के पास कोई योजना है?”

इस दौरान प्रदेश के राजस्व मंत्री अटानासियो मोनसेरेट ने कहा कि नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों जैसे 25 प्रतिशत से अधिक ढलान वाले पहाड़ी क्षेत्र, निचले धान के खेत, खज़ान भूमि, वन भूमि, आदि में किसी भी प्रकार के डवलपमेंट की अनुमति नहीं है।