वायनाड लैंडस्लाइड हादसे की कई दर्दनाक कहानियां हैं। पिछले साल स्कूल प्रतियोगिता के दौरान 8वीं कक्षा की छात्रा लाया का प्रकृति पर लिखा एक निबंध काफी चर्चा में हैं। जिसमें उसने मौसम के बदलते हालात पर काफी कुछ लिखा था। उसकी कहानी में एक छोटी लड़की को दिखाया गया है। जो झरने में डूब जाती है और फिर एक परिंदा बनकर अपने गांव आती है। परिंदा गांव के बच्चों को चेतावनी देता है कि नदी-नालों के करीब ना जाओ, इनसे दूर रहो।

परिंदा कहता है, ‘बच्चों, गांव से भाग जाओ। आगे खतरा है।’ बच्चे भाग जाते हैं, लेकिन जब वे पहाड़ी की ओर देखते हैं, तो उन्हें पहाड़ी से नीचे बारिश का पानी बहता हुआ दिखाई देता है। और वे देखते हैं कि पक्षी एक खूबसूरत लड़की में बदल गया है, अब वायनाड में आई बाढ़ के दौरान लाया के पिता की भी मौत हो गई है।

तबाह हो गया है गांव

आज चूरलमाला गांव बड़े पैमाने पर लैंडस्लाइड से तबाह हो गया है, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई है। इस हादसे में निबंध लिखने वाली लड़की लाया के पिता लेनिन भी शामिल हैं। स्कूल के 497 छात्रों में से 32 की भी मौत हो गई है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मौत की संख्या 308 है। जो लोग लैंडस्लाइड के बाद बच गए उन्हें रेसक्यू कर लिया गया है। 160 से ज़्यादा लोग अभी भी लापता हैं। चुरलमाला का स्कूल पूरी तरह बिखर चुका है। स्कूल के हेडमास्टर और कई टीचर इस हादसे से बाल-बाल बचे हैं।

खुशियों से भरा था गांव

चूरलमाला के स्कूल में 18 साल से पढ़ा रहे एक टीचर कहते हैं कि यह गांव हमेशा से लोगों का स्वागत करने वाला, प्यार देने वाला और दोस्ती से भरा गांव रहा है। यहां ज़्यादातर स्थानीय इलायची और चाय के बागानों में काम करने वाले मज़दूर रहते हैं। वे कहते हैं, “पिछले कुछ सालों में गांव के कई युवा शिक्षित हुए और बागानों से बाहर अपना करियर बनाया। उस रात कुछ ही सेकंड में उनकी दुनिया खत्म हो गई।” अभी भी स्कूल के 11 बच्चे लापता हैं। शिक्षक छात्रों और उनके परिवारों का पता लगाने की बेतहाशा कोशिश कर रहे हैं।

प्रिंसिपल कहती हैं, “वे बच्चे सभी गांव के हैं, जो अब नहीं रहा। मुझे स्कूल की इमारत के हालात के बारे में नहीं पता। अब तक हम गांव के पास नहीं जा पाए हैं, क्योंकि वहां तक ​​पहुंचने के लिए कोई पुल नहीं है।” पूरे क्षेत्र के दो स्कूलों के 44 बच्चे लापता हैं। मलबे में शरीर के कई अंग मिले हैं, इससे मौत की संख्या बढ़ सकती है।