प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (19 जनवरी) को मुंबई में भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय का उद्घाटन किया। इस मौके पर फिल्‍मी दुनिया के लोगों को संबोधित करते हुए पीएम ने अचानक ‘उरी- द सर्जिकल स्‍ट्राइक’ फिल्‍म के एक बहुचर्चित संवाद का इस्‍तेमाल किया। मोदी ने वहां मौजूद लोगों से पूछा- “How’s the Josh?” पहली बार में तो ज्‍यादा आवाजें नहीं उठीं पर दूसरी बार पूछने पर लोगों ने उत्‍साह से जवाब दिया, “High Sir”। इसका वीडियो ट्विटर पर ANI ने साझा किया है जिसे रविवार सुबह तक करीब एक लाख लोगों ने देख लिया था। ट्वीट पर 7 हजार से ज्‍यादा लाइक और ढाई हजार से ज्‍यादा रिट्वीट भी हैं।

मोदी ने शनिवार को कहा कि कभी ‘‘बेबसी’’ पर ध्यान केंद्रित करने वाली भारतीय फिल्में अब बदल रही हैं। आज के भारत में समस्याओं से ज्यादा समाधान है। मोदी ने कहा, ‘‘फिल्में और समाज एक दूसरे का प्रतिंबिंब हैं और सिनेमा की तरह भारत भी वक्त के साथ बदल रहा है। आप जो फिल्मों में देख रहे हैं वह समाज में होता है और समाज में जो होता है वह फिल्मों में दिखता है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी ‘प्रथम श्रेणी के शहरों’ के सिर्फ अमीर लोग ही फिल्म उद्योग में जा सकते थे, लेकिन अब दूसरे और तीसरे श्रेणी के शहरों के कलाकार भी अपने पांव जमा रहे हैं और अपनी कलात्मक क्षमताओं को मजबूती दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि भारत बदल रहा है। पूर्व में, गरीबी को एक खूबी के तौर पर देखा जाता था…फिल्में गरीबों और बेबसें के बारे में होती थीं। अब समस्याओं के साथ, समाधान भी दिख रहे हैं। अगर यहां करोड़ो समस्याएं हैं तो करोड़ों समाधान भी हैं।’’

मोदी ने कहा, ‘‘फिल्मों को पूरा होने में 10-15 साल लग जाते थे। प्रसिद्ध फिल्मों को वास्तव में इसलिये जाना जाता था कि उनके पूरा होने में कितना वक्त लगा…अब फिल्में कुछ महीनों और तय समय सीमा में बन जाती हैं। ऐसा ही कुछ सरकारी योजनाओं के साथ भी है। वे भी अब तय समयसीमा में पूरी हो रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि, ‘‘अगर कोई सरकार कहे कि वह सारे काम अकेले कर सकती है तो वह आपको मूर्ख बना रहा है। सबके विकास के लिये सबके साथ की जरूरत है।’’

मोदी ने कहा भारत की सांस्कृतिक शक्ति (सॉफ्ट पावर) में फिल्मों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि कैसे विदेशी नेताओं के साथ अपनी बातचीत में भारतीय फिल्मों और उनकी लोकप्रियता देखकर वह चकित रह गए। उन्होंने कहा, ‘‘पर्यटन को बढ़ावा देने में भी फिल्मों का अहम योगदान होता है।’’ उन्होंने फिल्म उद्योग को आश्वासन दिया कि पायरेसी और छिपे कैमरे से रिकॉर्डिंग रोकने के लिये प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।

(भाषा इनपुट्स के साथ)