Caste Discrimination: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से लगभग 150 किलोमीटर दूर, पूर्वी बर्धमान जिले के कटवा के गिधग्राम नाम के एक गांव को एक किले में बदल दिया गया, और वहां चारों तरफ पुलिस और सुरक्षाबलों का पहरा देखने को मिला। एक गांव में इतनी ज्यादा सुरक्षा इसलिए रखी गई, क्यों कि यहां एर इतिहास बना है। गांव के दलितों के एक ग्रुप ने पहली बार गांव के गिधेश्वर मंदिर में प्रवेश किया और पूजा अर्चना की। इस घटना से उम्मीद की जा रही है कि जातिवाद के नाम पर होने वाला भेदभाव आगे जाकर खत्म होगा।

इस कार्यक्रम को लेकर 50 वर्षीय ममता दास नाम की महिला ने कहा कि मंदिर में एंट्री और पूजा करने के लिए उन सभी ने करीब 16 पड़ावों को पार किया है, जिससे उनके साथ होने वाला भेदभाव खत्म हो। ममता उन पांच लोगों में शामिल थीं, जिन्होंने पहली बार मंदिर में प्रवेश किया था। ममता के अलावा शांतनु दास, लक्खी दास, पूजा दास, षष्ठी दास ने प्रवेश किया। ये वो लोग हैं, जिन्हें गांव में पैर रखने तक के लिए अनुमति नहीं थी।

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जिला प्रशासन तक पीड़ितों ने पहुंचाई आवाज

गांव में कुल 2000 परिवार रहते हैं, जिनमें से 6 प्रतिशत दलित भी है। उन्होंने अपने साथ होने वाले इस अपराध और भेदभाव की जानकारी एक पत्र के जरिए जिला प्रशासन को दी। इसका नतीजा ये हुआ कि पुलिस और सिविल वॉलेंटियर्स ने पांच दलितों को मंदिर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। इस मंदिर में उन्होंने करीब एक घंटे तक पूजा की। इस दौरान पूरे इलाके में पुलिस और RAF के जवान तैनात रहे।

‘सीढ़ियां चढ़ने तक पर थी रोक’

मंदिर में प्रवेश करने वाली षष्ठी दास ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि हमारे लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि इतिहास में पहली बार हमें इस मंदिर में पूजा करने का अधिकार मिला है। जब भी हम मंदिर के पास जाते थे, तो हमें वहां से भगा दिया जाता था। पिछले साल भी मैं प्रार्थना करने आई थी, लेकिन उन्होंने मुझे सीढ़ियां चढ़ने की भी अनुमति नहीं दी लेकिन, आज से मैं गांव में शांति की उम्मीद करता हूं।

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इस डेपेलपमेंट को गांव के दलितों के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो कि लंबे वक्त से गांव की ऊंची जातियों के लोगों से प्रतिरोध का सामना कर रहे हैं। माना जाता है कि गिधेश्वर शिव मंदिर करीब 200 साल पुराना है, मंदिर पर लगी पट्टिका पर लिखा है कि इसका जीर्णोद्धार बंगाली वर्ष 1404 में किया गया था।

लोगों ने प्रशासन को दी पूरी जानकारी

स्थानीय दलितों के अनुसार वे दशकों से मंदिर में प्रवेश के अपने अधिकार के लिए असफल संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन पिछले महीने ही उन्हें अंततः सफलता मिली। 24 फरवरी को हिंदू त्योहार महाशिवरात्रि से ठीक पहले, उन्होंने जिला प्रशासन, खंड विकास अधिकारी और जिला पुलिस को पत्र लिखकर उन्हें प्रवेश की अनुमति देने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की।

ग्रामीणों द्वारा लिखे उस पत्र में दिया कि उन्हें सदियों से अछूत माना जाता रहा है और “छोटो जाट” (निम्न जाति) कहा जाता है, जिनकी उपस्थिति से मंदिर अपवित्र हो जाएगा। हालांकि, उनकी दलीलों के बावजूद, उन्हें त्योहार के दौरान मंदिर से बाहर रखा गया। फिर, 28 फरवरी को उप-विभागीय अधिकारी ने सभी हितधारकों, दासपारा के निवासियों, मंदिर समिति, स्थानीय विधायक, टीएमसी के अपूर्व चौधरी और बीडीओ की एक बैठक बुलाई।

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इस अहम बैठक में लिए गए एक प्रस्ताव में कहा गया कि इस तरह के भेदभाव को संविधान द्वारा प्रतिबंधित किया गया है और दलित गांव के निवासियों के मंदिर में प्रार्थना करने के अधिकार पर जोर दिया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि हर किसी को पूजा करने का अधिकार है। इसलिए दास परिवारों को कटवा 1 ब्लॉक के अंतर्गत गिधग्राम में गिधेश्वर शिव मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, अधिकारियों के अनुसार, 11 मार्च को हुई बैठक के बाद ही इस प्रस्ताव को अमल में लाया जा सका।

जिला प्रशासन और एसडीओ की अध्यक्षता में हुई उस बैठक में, संबंधित पक्षों ने आखिरकार दास समुदाय के पांच सदस्यों को मंदिर में प्रवेश करने और प्रतीकात्मक रूप से पूजा करने की अनुमति देने का संकल्प लिया। मंगलकोट से टीएमसी विधायक चौधरी भी इस बैठक में शामिल हुए।

कई बैठकों के बाद आखिरकार मिली सफलता

पूजा दास ने उम्मीद जताई है कि उन्हें और अन्य सभी लोगों को मंदिर में पूजा-अर्चना जारी रखने दी जाएगी। गांव के एक अन्य निवासी लक्खी ने कहा कि कि हमारे पूर्वजों को कभी इसकी अनुमति नहीं दी गई। लेकिन अब हम शिक्षित हैं और समय बदल गया है। इसलिए हमने प्रशासन और पुलिस से अपील की। ​​उनकी मदद से, हम आखिरकार अपने अधिकार पाने में कामयाब रहे।

एसडीओ अहिंसा जैन का कहना है कि यह एक टीम प्रयास था। उन्होंने कहा कि इस तरह के भेदभाव की अनुमति नहीं दी जा सकती। हमने इस बात को ध्यान में रखते हुए कई बैठकें कीं कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और आखिरकार इसमें शामिल लोगों को मना लिया गया। पश्चिम बंगाल की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।