वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जेपीसी कमेटी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने समिति के मसौदा को बहुमत के साथ स्वीकार कर लिया है। बुधवार को जगदंबिका पाल ने इस बात की जानकारी दी कि जिन भी सांसदों को अपनी असहमति दर्ज कराने के लिए शाम चार बजे तक अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। इस मामले को विपक्षी सांसदों ने अलोकतांत्रिक बताया और दावा किया कि उन्हें मसौदा को अध्ययन करने के लिए बहुत कम समय दिया गया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जेपीसी समिति की अंतिम बैठक हुई। जिसमें विधेयक के पक्ष में 14 वोट जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े। 31 सदस्यीय समिति द्वारा ये मसौदा तैयार की गई है। 31 सदस्यों में से 16 एनडीए (12 भाजपा), विपक्षी दलों से 13, वाईएसआरसीपी से एक और एक नामित सदस्य हैं।
44 संशोधन चाहता है विपक्ष
बीते मंगलवार को समिति द्वारा 655 पन्नों की तैयार किए गए मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार किए जाने से पहले ही विपक्षी सांसदों ने आलोचना की थी। सदस्यों ने इस बात का दावा किया कि उन लोगों को इसका मसौदा मंगलवार शाम को भेजा गया था जिसको लेकर बुधवार सुबह 10 बजे तक अपनी राय देने को कहा गया था।
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बीते सोमवार को समिति ने बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के 14 सांसदों के समर्थन से प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दे दी थी। वहीं इस विधेयक को लेकर विपक्ष द्वारा सुझाए गए 44 संशोधनों को खारिज कर दिया था। जानकारी के अनुसार विपक्षी सदस्य प्रस्तावित सभी 44 संशोधन वक्फ अधिनियम 2013 में विधेयक में नियोजित परिवर्तनों के खिलाफ थे। इसके साथ ही विपक्षी सांसदों ने इस कार्यवाही को “तमाशा” बताया और आरोप लगाया कि सोमवार की बैठक के दौरान प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
इस तरह के मिले थे सुझाव
समिति द्वारा स्वीकृत संशोधनों में पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों को रजिस्टर करने के लिए छह महीने के समय में रियायत देने को लेकर सुझाव दिए गए है। साथ ही कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या सरकारी भूमि इसको लेकर जिला अधिकारी के स्थान पर प्रदेश सरकार के अधिकारी को यह निर्णय लेने के लिए नियुक्त करना है। और वक्फ न्यायाधिकरण में “मुस्लिम कानून और न्यायशास्त्र के ज्ञान” वाले एक सदस्य को शामिल करना शामिल है।