वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को फिर सुनवाई शुरू हो गई है। इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ट कर रही है। पहले दिन की सुनवाई के दौरान ही सर्वोच्च अदालत ने कई पहलुओं पर सरकार का रुख समझने की कोशिश की थी। माना जा रहा है कि गुरुवार को फिर तीखी बहस शुरू हुई है, कई मुद्दों पर तकरार की स्थिति भी दिख सकती है।
पहले दिन की सुनवाई की बात करें तो कपिल सिब्बल ने वक्फ कानून के खिलाफ अपनी कई दलीलें पेश की थीं। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी व्यक्त की कि गैर मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड का हिस्सा बनाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने यहां तक कहा था कि स्टेट कैसे तयेगी कि हमे हमारी विरासत किसे देनी है, कैसे रखनी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान दोनों ही पक्षों के सामने कई मौकों पर सवाल रखे थे।
वक्फ कानून को लेकर क्या है आपत्ति?
विरोध का सबसे बड़ा आधार यह है कि मुस्लिम संगठनों को लग रहा है कि इस नए कानून की वजह से सरकारी हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। मुस्लिम समाज में कुछ लोगों का मानना है कि अब सरकार तय करेगी कि आखिर कौन सी प्रॉपर्टी वक्फ है और कौन सी नहीं। इसके ऊपर सरकार द्वारा लाए गए कानून का सेक्शन 40 कहता है कि वक्फ बोर्ड इस बात का फैसला लेगा कि किसी जमीन को वक्फ का माना जाए या नहीं। अब यहां पर विवाद इस बात को लेकर है कि अब यह फैसला लेने की ताकत किसी वक्फ ट्रिब्यूनल के पास ना होकर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पास होगी।
AAP नेता अमानतुल्लाह खान ने कहा, "मैं सुप्रीम कोर्ट, जजों और अधिवक्ताओं का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने धर्म से ऊपर उठकर देश की रक्षा करने में हमारी मदद की।
कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, "अंतरिम राहत के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट का शुक्रगुजार हूं। कोर्ट ने लगभग वे सभी मुद्दे उठाए जो हमने संसद में उठाए थे। आज के फैसले से पता चलता है कि यह कानून संविधान के खिलाफ बनाया गया है। यह संविधान की जीत है, किसी पक्ष की नहीं।
AIMIM प्रमुख ओवैसी ने कहा कि हम पूरे बिल को असंवैधानिक मानते हैं, हमारा पहले से ही यह मानना रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वक्फ बाय यूजर को डिलीट नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 73 में से पांच याचिकाओं को लिस्ट किया जाए, उसी में सारी दलीलों को शामिल किया जाए। अब ये दोनों पक्षों को तय करना है कि कौन सी पांच याचिकाओं को लिस्ट किया जाएगा।
सरकार को सुप्रीम कोर्ट से जवाब देने के लिए सात दिनों का वक्त मिल चुका है। लेकिन तब तक वक्फ बाय यूजर में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, बोर्ड में किसी तरह की नियुक्ती भी नहीं होगी।
ऐसी खबर है कि सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई इस मामले में अभी अपना अंतरिम आदेश लिख रहे हैं। अब यह आदेश क्या रहने वाला है, इस पर सभी की नजर है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए वकील तुषार मेहता ने जवाब देने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा है। सरकार का कहना है कि कई ऐसे डॉक्यूमेंट हैं जो सामने रखने हैं।
वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दोपहर दो बजे सुनवाई शुरू होने वाली है। सुनवाई के दौरान सबसे पहले केंद्र सरकार अपनी दलील रखेगी, फिर दूसरा पक्ष अपनी बातें रखेगा।
वक्फ कानून पर चर्चा के दौरान सुप्रीम कोर्ट की नजर तीन बिंदुओं पर रहने वाली है। कुछ ऐसे विकल्प भी रहेंगे जिन पर बहस होने के पूरे आसार हैं। केंद्र भी अपने जवाब के साथ तैयार होगा।
पहले दिन की सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने यहां तक बोल दिया था कि अगर दूसरे पक्ष की सभी दलीलों को मान लिया जाए तो सीजेआई को भी इस मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं रहेगा।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान तुषार मेहता से पूछा कि आप तय कैसे करेंगे कि वक्फ बाय यूजर कौन है। उनके पास कौन से दस्तावेज होने चाहिए। हम मानते हैं कि कुछ मिसयूज होता होगा। लेकिन कुछ सही भी तो होते हैं। पिछले फैसलों को मैंने देखा है। वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी गई है, अगर पूरी तरह आप इसे हटा देंगे, तो यह दिक्कत है।
पहले दिन की सुनवाई की बात करें तो कपिल सिब्बल ने वक्फ कानून के खिलाफ अपनी कई दलीलें पेश की थीं। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी व्यक्त की कि गैर मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड का हिस्सा बनाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने यहां तक कहा था कि स्टेट कैसे तयेगी कि हमे हमारी विरासत किसे देनी है, कैसे रखनी है।
पहले दिन की सुनवाई के दौरान ही सर्वोच्च अदालत ने कई पहलुओं पर सरकार का रुख समझने की कोशिश की थी। माना जा रहा है कि गुरुवार को फिर तीखी बहस होने वाली है, कई मुद्दों पर तकरार की स्थिति भी दिख सकती है।
वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को फिर सुनवाई होनी है। इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ट करने वाली है।