वक्फ विधेयकों पर विचार करने वाली जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। करीब 655 पेज की इस रिपोर्ट को कमेटी ने पास करने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दिया है। इसमें बीजेपी के सदस्यों की ओर दिए गए सुझावों को शामिल किया गया है। दूसरी तरफ विपक्षी सांसदों ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। उनका आरोप है कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा। बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई।
समिति में शामिल किए गए विपक्षी सांसदों ने इस विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के ‘दमनकारी’ चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा। बता दें कि 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था।
बिल में किए गए 15 संशोधन में से 4 अहम
इस विधेयक में 15 संशोधन किए गए हैं। इनमें से 4 को काफी अहम माना जा रहा है। अगस्त में विधेयक के पेश किये जाते समय विपक्ष की ओर से कलक्टर को अत्यधिक अधिकार दिये जाने पर सवाल उठाए गए थे। जेपीसी की रिपोर्ट में कलक्टर की जगह कमीश्नर या सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी को रखने का प्रस्ताव किया गया है, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार करेगी।
अगस्त में मानसून सत्र के दौरान पेश किए जाने के समय से ही विपक्ष वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करता रहा है। जेपीसी की बैठक के दौरान भी यह देखने को मिला। यहां तक कि तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी पर बैठक के दौरान पानी की बोतल तोड़ने और खुद को घायल करने के साथ ही अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने उनपर गाली देने तक आरोप लगाया।