पूरे देश में इस समय वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर चर्चा हो रही है। लोकसभा में पेश कि जाने के बाद यह बिल JPC के पास भेज दिया गया। इस बिल पर इंडियन सूफी फाउंडेशन के अध्यक्ष कशिश वारसी की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि शरीयत से वक्फ बोर्ड का कोई लेना देना नहीं है। 

कशिश वारसी ने कहा कि इस बिल को जेपीसी को भेजा गया है। यह एक नई पहल है और सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। अब धर्म गुरुओं को और संस्थाओं को आगे आकर मशविरे देने चाहिए। जहां तक ​​शरीयत का सवाल है, इसका शरीयत से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, “मैं जिम्मेदारी से कहता हूं – आज वक्फ की संपत्तियों पर कट्टरपंथी कब्जा कर रहे हैं, वे सूफीवाद के दुश्मन हैं। संपत्तियों को उनसे मुक्त किया जाना चाहिए, सूफियों की एक समिति गठित की जानी चाहिए।”

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‘दरगाह और मजार जेब भरने की जगह नहीं’

इस दौरान कशिश वारसी ने यह भी कहा कि दरगाह और मजार गरीबों को भोजन कराने के लिए हैं, न कि अपनी जेब भरने के लिए। मजारों पर कट्टरपंथियों का कब्जा है, वे अपनी जेबें भर रहे हैं। इस बिल पर अच्छी बहस होनी चाहिए और इसे पारित किया जाना चाहिए।

शांभवी चौधरी बोलीं- हम बिल के समर्थन में

लोक जनशक्ति पार्टी राम विलास की सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि हमारी पार्टी वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी हमेशा अल्पसंख्यकों के साथ खड़ी है। हम संशोधन का समर्थन कर रहे हैं लेकिन अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो व्यापक परामर्श चाहता है या बिल किसी समिति के पास जाता है, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।

कांग्रेस का क्या है रुख?

कांग्रेस पार्टी के सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह ‘खतरनाक’ बिल संविधान पर हमला है।उन्होंने दावा किया कि यह बिल आस्था और धर्म के अधिकार पर हमला है। उन्होंने कहा, “अभी आप मुस्लिम पर हमला कर रहे हैं, फिर ईसाई पर करेंगे, उसके बाद जैन पर करेंगे।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव के लिए लाया गया है, लेकिन देश की जनता अब इस तरह की विभाजन वाली राजनीति पसंद नहीं करती।