वक्फ (संशोधन) बिल को लेकर देश भर में चल रही जोरदार राजनीतिक जंग के बीच AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दोनों नेताओं ने इस बिल के खिलाफ अलग – अलग याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की हैं। कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ बिल को रद्द करने की मांग की है। मोहम्मद जावेद बिहार की किशनगंज सीट से सांसद हैं। वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह पहली याचिका है।

बताना होगा कि वक्फ (संशोधन) बिल संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा से पास हो चुका है और अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा जाना है। इसके बाद यह कानून की शक्ल ले लेगा।

एक ओर जहां मोदी सरकार वक्फ बिल के मामले में लगातार आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी राजनीतिक दल और मुस्लिम संगठन भी इसका पुरजोर विरोध करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। आने वाले दिनों में वक्फ बिल को लेकर चल रहा घमासान और तेज हो सकता है।

बिल को लेकर आमने-सामने आए सत्ता पक्ष और विपक्ष

इस बिल का कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने कड़ा विरोध किया है। उनका तर्क है कि यह बिल “मुस्लिम विरोधी” तथा “असंवैधानिक” है जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का कहना है कि यह बिल गरीब मुसलमानों के कल्याण के लिए लाया गया है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पार्टी का रुख दोहराते हुए कहा था कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई ही एकमात्र रास्ता है। मसूद ने कहा था कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है।

कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल के दोनों सदनों में पारित होने के बाद कहा कि सरकार ने इसे लागू करने के लिए “बहुमत का दुरुपयोग” किया है। उन्होंने कहा, “अगर बिल को चुनौती दी जाती है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि अदालत इसे असंवैधानिक घोषित कर देगी।” राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस कानून को मुसलमानों के लिए खतरनाक बताते हुए दावा किया था कि उनकी संपत्तियों पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है।

वक्फ बिल पर क्या है BSP का रुख? 

बिल के पक्ष में राज्यसभा में 128 मत और विरोध में 95 मत पड़े जबकि इससे पहले लोकसभा में 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया था तथा 232 सदस्यों ने इसके विरोध में वोट दिया था। राज्यसभा में भी इस बिल के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास के लिए अहम पल बताया था।

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