संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है। सत्र की कार्यसूची में वक्फ (संशोधन) विधेयक भी शामिल है। जिसे पिछले सत्र में जेपीसी को सौंपा गया था और काफी हंगामा भी देखने को मिला था। आज भी विपक्ष ने बिल पर जेपीसी की बैठक का बहिष्कार किया। विपक्षी नेताओं ने बैठक को बीच में ही छोड़ दिया और कहा कि अध्यक्ष ने 29 नवंबर को जेपीसी की वक्फ (संशोधन) रिपोर्ट का मसौदा पेश करने की घोषणा की थी जिसका सभी विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया है। इस मामले से जुड़ा अपडेट यह है कि बीजू जनता दल (बीजेडी) ने कानून में प्रस्तावित बदलावों के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया है और आरोप लगाया है कि मुस्लिम समुदाय से इस बारे में परामर्श नहीं किया गया।

विपक्ष ने क्यों किया JPC की मीटिंग का बहिष्कार?

कांग्रेस सांसद और जेपीसी सदस्य गौरव गोगोई ने इस सवाल के जवाब में कहा, “हमने दो महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं, स्पीकर (लोकसभा) से हमें जो आश्वासन मिला था, उसे जेपीसी के अध्यक्ष द्वारा पूरा नहीं किया जा रहा है। इसका मतलब है कि सरकार और स्पीकर के बीच संतुलन नहीं है। मुझे लगता है कि कोई बड़ा केंद्रीय मंत्री जेपीसी के अध्यक्ष को निर्देश दे रहा है। दूसरी बात यह है कि प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और अध्यक्ष ने कहा है कि रिपोर्ट तैयार है।”

बीजेडी ने क्या कहा?

नवीन पटनायक की पार्टी का यह बयान ऐसे वक़्त में आया है जब विपक्षी सांसदों ने प्रस्तावित कानून पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति (JPC) के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की है। जून में बीजद ने पहली बार वक्फ अधिनियम 1995 में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध किया था। सोमवार को बीजेडी ने फिर से विधेयक को लेकर विरोध को दोहराया। ओडिशा में दो दशक बाद सत्ता से बेदखल हुई बीजेडी ने लोकसभा में भी अपनी ताकत खो दी है, संसद के निचले सदन में एक भी सीट नहीं बचा पाई है। राज्यसभा में बीजेडी के सात सांसद हैं।

बीजेपी सरकार के मंत्री ने अजान सुनकर रोका भाषण, मंच से पढ़ा – ‘ला इलाहा इल्लल्लाह…’ हुआ जोरदार विरोध

बीजेडी के राज्यसभा सांसद मुजीबुल्ला खान ने प्रस्तावित संशोधन को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि ऐसे प्रावधानों से पक्षपात, दुरुपयोग और वक्फ बोर्डों के अधिकार कमजोर हो सकते हैं।