Waqf Act News: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। AIMIM समेत कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में कानून के बदलावों की संवैधानिकता को चुनौती दी है। वहीं केद्र सरकार ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर रखी है। इस बीच अब हिंदू संगठन में वक्फ कानूनों में हुए बदलाव के समर्थन में उतर आए हैं। इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर करते हुए दावा किया है कि कानून में हुए बदलाव पूरी तरह से संविधान के अंतर्गत ही आते हैं।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के सदस्य सतीश कुमार अग्रवाल और एनजीओ हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए आवेदन दायर किए गए थे। आवेदनों में कहा गया कि वक्फ अधिनियम 195 की धारा-40 के अवलोकन से पता चलता है कि वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति के बारे में जानकारी लेने का अधिकार था।
याचिका में क्या-क्या दिए गए तर्क?
हिंदू संगठनों की याचिका में कहा गया है कि कानून की धारा 40 की आड़ में वक्फ बोर्ड ने गलत तरीके से दूसरों की जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया। इसीलिए सरकार को प्रावधान बदलने के लिए बाध्य होना पड़ा। इस मामले में वकील वरुण सिन्हा ने हिंदू संगठनो की तरफ से याचिका दायर की है। इस आवेदन में आगे कहा गया कि धार्मिक प्रथाओं के आधार पर कोई भी कानून नहीं बनाया जा सकता है, जिसमें दूसरों की भूमि और संपत्ति को अधिग्रहित करने की अप्रतिबंधित शक्ति हो।
16 अप्रैल को होगी मामले की सुनवाई
वक्फ अधिनियम को लेकर विपक्ष और पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर कर रखी हैं। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच 16 अप्रैल को सुनवाई करेगी। इस बेंच में चीफ जस्टिस के साथ ही जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं कई याचिकाएं
अधिनियम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं हैं। इसमें तर्क दिया गया है कि यह मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को हस्ताक्षर के जरिए अपनी मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद यह कानून बन चुका है।