पश्चिम बंगाल से हैरान करने वाली खबर आई है। यहां इंजीनियरिंग के पांच छात्रों ने फेक मोबाइल वॉलेट ट्रांजैक्शन कर चार महीने में एक प्राइवेट बैंक से 8.6 करोड़ रुपए साफ कर दिए। ये पांचों छात्र और इनके चार और साथी अब पुलिस की गिरफ्त में हैं।
जानकारी के मुताबिक, एक प्राइवेट बैंक ने दिसंबर 2015 में वॉलेट ट्रांजैक्शन सेवा शुरू की थी। लेकिन उसे इस बात का पता ही नहीं चला कि उसके सिक्योरिटी सिस्टम में कई सुराख हैं। जिन पांच छात्रों के गैंग ने बैंक से करोड़ों रुपए उड़ाए हैं, उसके लीडर का नाम जीवल राणा बताया जा रहा है। मामले की जांच कर रही टीम बैंक से पैसे उड़ाए जाने की बात से भी ज्यादा परेशान सिम कार्ड की सप्लाई को लेकर है। इस गैंग ने बैंक से पैसे उड़ाने के लिए मुर्शिदाबाद जिले में हजारों प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड बांटे। भोले-भाले ग्रामीणों से बैंक अकाउंट खोलने को कहा गया। साथ ही उन्हें वॉलेट ट्रांजैक्शन सुविधा भी दिलाई गई। इस काम में उन्ही सिम कार्डों का प्रयोग किया गया, जो इस गैंग ने बांटे थे। स्कीम लेने वालों को इनाम के तौर पर नकद राशि देने वादा भी किया गया।
ज्वाइंट सीपी (क्राइम) देबाशीष बोराल ने बताया कि गैंग का सरगना जीवल मुर्शिदाबाद में मोबाइल सर्विस प्रोवाइड कराने वाले डीलर हबीबुर रहमान को जानता था। कॉलेज के स्टूडेंट्स के साथ मिलकर उसी ने सबकुछ प्लान किया। जीवल को हबीबुर रहमान ने सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे।
पुलिस ने बताया कि पहली बार 23 दिसंबर को बैंक के सीनियर अफसर ने पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी कि अकाउंट से कोई पैसे निकाल रहा है। जांच से पता चला कि गैंग ने कोलकाता और मुर्शिदाबाद में करीब 2000 अकाउंट उस प्राइवेट बैंक में खुलवा लिए थे। इनके दम पर गैंग ने करीब 18,000 मोबाइल वॉलेट आईडी बना डालीं। मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच कर रहे हैं, लेकिन इस केस की पूरी डीटेल जानने में उन्हें काफी वक्त लगेगा।