हाई प्रोफाइल व्यापमं घोटाले की जांच कर रहे विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्हें गिरोह में शामिल कथित रूप से कुछ प्रभावशाली लोगों से धमकियां मिली हैं।

विशेष जांच दल (एसआइटी) के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) चंद्रेश भूषण ने इस बारे में पूछने पर कहा, ‘हां, उन्होंने (एसटीएफ के शीर्ष अधिकारियों ने) मुझसे ‘हम देख लेंगे’ जैसी कुछ धमकियां मिलने संबंधी शिकायत की है। मैंने उनकी शिकायतों को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पास भेज दिया है जो इस घोटाले की जांच की निगरानी कर रहा है।’

अधिकारियों के निकट सूत्रों ने बताया कि घोटाले के मुख्य जांचकर्ताओं, राज्य के एसटीएफ के सहायक पुलिस महानिरीक्षक आशीष खरे और पुलिस उप अधीक्षक डीएस बघेल, ने सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग करते हुए कहा है कि प्रभावशाली लोग उनके पीछे पड़े है जिनके खिलाफ वे अभियोग चला रहे हैं। खरे ने शिकायत संबंधी विस्तृत जानकारी नहीं देते हुए कहा, ‘हमने अपनी शिकायत एसआइटी को करीब एक पखवाड़े पहले बता दी थी। एसआइटी इस पर कार्रवाई करेगा।’

दोनों अधिकारियों ने व्यापम घोटाले के संबंध में 15 से अधिक आरोप पत्र दायर किए हैं। इस घोटाले के 25 आरोपियों व गवाहों की मौत हो गई है। ऐसे में यह शिकायत काफी मायने रखती है। वर्ष 2013 में सामने आया व्यापमं घोटाला एक बड़ा दाखिला और भर्ती घोटाला है जिसमें राजनेता, नौकरशाह और बिचौलिए कथित तौर पर शामिल हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित कई नेता, अधिकारी और उम्मीदवार इस मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

पिछले सप्ताह घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी थी कि एमपीपीईबी घोटाले से संबंधित अभी तक मारे गए 23 लोगों की मौत अप्राकृतिक मौत थी। कुछ रिपोर्टो में ऐसी मौतों की संख्या 40 होने का दावा किया गया है। इसमें सबसे अधिक हाई प्रोफाइल मामला मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश यादव की मौत का है। 50 वर्षीय शैलेश को इस वर्ष 25 मार्च को लखनऊ में माल एवेन्यू में अपने पिता के आवास पर मृत पाया गया था।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री रामनरेश यादव को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था । बाद में उन्हें अदालत से राहत दे दी गई।