हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अब जब कुछ ही हफ्ते रह गये हैं, तब बीजेपी और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने मतदान और मतगणना तिथियों को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है। निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में दोनों दलों ने चुनाव तिथि से पहले और बाद में छुट्टियों का हवाला देते हुए कहा है कि इससे मतदान में गिरावट आने की आशंका है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग इसको लेकर जल्द फैसला करेगा। मंगलवार तक इस पर अपना फैसला बता सकता है।

कांग्रेस बोली- चुनाव से डर गई है बीजेपी

मतदान और मतगणना तारीखों को बदलने की मांग पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। पार्टी ने कहा कि बीजेपी विधानसभा चुनाव से डर गई है। पार्टी की ओर से कहा गया कि हरियाणा के मतदाता बेहद जागरूक हैं। वे कहीं छुट्टी मनाने नहीं जाएंगे, बल्कि बीजेपी की छुट्टी करने के लिए बड़ी संख्या में मतदान केंद्र पर आकर वोट देंगे।

इलेक्शन कमीशन ने पत्र मिलने की पुष्टि की है

शनिवार को प्रदेश बीजेपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख ने आयोग को पत्र भेजा है। हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी पंकज अग्रवाल ने शुक्रवार को ई-मेल के माध्यम से आयोग को पत्र मिलने की बात की पुष्टि की है। अग्रवाल ने कहा कि हमें प्रदेश बीजेपी से पत्र मिला है और हमने इसे निर्वाचन आयोग को भेज दिया है।

बीजेपी की राज्य चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य वरिंदर गर्ग ने कहा कि हमने तर्क दिया है कि एक अक्तूबर को विधानसभा चुनाव की तारीख से पहले वीकेंड पर छुट्टी है और उसके बाद कुछ छुट्टियां हैं, जिससे मतदान प्रभावित हो सकता है। गर्ग ने कहा कि हमने इस संबंध में आयोग को पत्र लिखा है। बेहतर मतदान फीसद के लिए अवकाश खत्म होने के बाद कोई भी नई तारीख ठीक रहेगी। उन्होंने कहा कि शनिवार (28 सितंबर) और रविवार को भी अवकाश है। एक अक्तूबर को चुनाव अवकाश है, इसके बाद दो अक्तूबर को गांधी जयंती है, तीन अक्तूबर को महाराजा अग्रसेन जयंती के कारण भी अवकाश है।

दूसरी ओर, इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने मुख्य चुनाव आयुक्त को इसी आशय का पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि मतदान प्रतिशत में पंद्रह से बीस फीसद की कमी होने की आशंका है। दूसरे, चुनाव की तैयारी पर भी असर पड़ सकता है।

रोहतक से कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सोशल मीडिया मंच पर लिखा, हरियाणा बीजेपी ने चुनाव आयोग को चुनाव टालने के लिए पत्र लिखा है, जो यह दर्शाता है कि बीजेपी चुनाव से किस कदर घबराई हुई है। अपनी हार सामने देख सत्ताधारी पार्टी बचकाने तर्क दे रही है।