पश्चिम बंगाल की विश्व भारती यूनिवर्सिटी के प्रशासकों को सपने में भी गुमान नहीं था कि उनको इस तरह की सौगात मिलेगी। लेकिन ये वाकई में सच है। एक पूर्व छात्र ने विवि को छह करोड़ रुपये की जमीन और बिल्डिंग दान में दे डाली। ये विवि पश्चिम बंगाल के बीरभूम इलाके में स्थित है। विश्व भारती को 1951 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला था। इसके पहले वीसी रविंदरनाथ टैगोर के बेटे रतिंद्रनाथ टैगोर थे। जबकि दूसरे वीसी नोबल पुरस्कार विजेता अर्मत्य सेन के दादा थे। पहले पहल इसकी शुरुआत एक कॉलेज के तौर पर की गई थी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाठ भवन स्कूल के एक पूर्व छात्र ने बीरभूम जिले में विश्व भारती विश्वविद्यालय के लिए छह करोड़ रुपये की जमीन और एक इमारत उपहार में दी है। पाठ भवन विश्व भारती विश्वविद्यालय का प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा संस्थान है। यह विश्वविद्यालय परिसर में स्थित है।
कई पेटेंट हासिल कर चुके हैं वैज्ञानिक अरबिंद
पाठ भवन स्कूल के पूर्व छात्र और भौतिक विज्ञान में कई पेटेंट हासिल वाले वैज्ञानिक अरबिंद मुखर्जी और उनकी पत्नी सेवानिवृत्त शिक्षक नीता मुखर्जी ने विश्व भारती विश्वविद्यालय को ये उपहार दिया है। दंपति ने सिमंता पल्ली इलाके में 31 हजार वर्ग फुट से अधिक भूमि और पांच हजार वर्ग फुट में बनी एक इमारत विवि को भेंट की है।
अरबिंद मुखर्जी ने पाठ भवन स्कूल में 1951-57 के बीच पढ़ाई की थी। विश्व भारती के एक अधिकारी ने बताया कि यह उनकी मालिकाना संपत्ति है। दंपति और उनके बेटे तथा बेटी ने बिना शर्त संपत्ति को हमें दान किया है। मौजूदा समय में इसका मार्केट प्राइज करीब छह करोड़ रुपये है। विवि का कहना है कि अरबिंद मुखर्जी की तरफ से औपचारिक तौर पर यह संपत्ति बृहस्पतिवार को सौंप दी गई।
उधर मुखर्जी ने कहा कि पाठ भवन में ही उनकी नींव तैयार हुई। उन्होंने ना केवल अलग-अलग विषय सीखे बल्कि विश्व भारती ने मेरे जीवन को गढ़ा है। मेरे लिए यहां की हर चीज सुन्दर है। अब आश्रम अधिक अनुशासित हो गया है। मुझे शांतिनिकेतन से प्यार है। मुझे लगता है कि उसका ऋण चुकाने का यह सही समय है। उनका कहना था कि ये जमीन और भवन विवि को देते समय उन्हें व उनके परिवार को एक अनूठे सुख की अनुभूति हो रही है। वो हमेशा से विवि के लिए कुछ खास करना चाहते थे। वो कुछ कर पाए ये उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे विवि और बेहतरीन काम कर पाएगा।