“सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा” को आदर्श वाक्य मानने वाली उत्तरप्रदेश पुलिस का एक नया चेहरा सामने आया है और वह चेहरा है न्याय मांगने आए फरियादी के साथ ही मारपीट करने का। उत्तरप्रदेश पुलिस के एक वरीय अधिकारी ने उस समय इसको चरितार्थ भी कर दिखाया जब उन्होंने न्याय मांगने आए एक फरियादी के साथ पहले तो अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और फिर उसके साथ मारपीट भी करने लगे। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ के रौनापारा थाना के अंतर्गत आने वाले एक गांव की नाबालिग लड़की बीते शुक्रवार को अपने घर से कुछ दूरी पर एक सुनसान रास्ते में मिली थी। लड़की की हालत देखकर परिजनों ने रेप की आशंका जताई। जिसके बाद लड़की को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में लड़की की हालत में सुधार नहीं होने के कारण उसे पास के मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया। लेकिन शनिवार को ही लड़की की मौत हो गई।

बच्ची के साथ रेप की आशंका को लेकर जब पीड़िता के परिवार वालों ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश की तो स्थानीय थाने की पुलिस उन लोगों से एफआईआर न दर्ज करवाने की बात कहने लगी। पुलिस रेप की संभावना से इनकार करती रही। जिसके बाद पीड़िता के परिवार वाले आजमगढ़ के एसपी कार्यालय भी पहुंचे। शिकायत दर्ज होने के बाद जैसे ही जिले के कप्तान बाहर आए तो कुछ लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया।

इसी दौरान एसपी ने खुद गाड़ी से उतरकर एक युवक को पकड़ लिया और उसके साथ मारपीट करने लगे। इसी दौरान वहां मौजूद रहे लोगों ने इस घटना का वीडियो बना लिया। जो जल्दी ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वायरल वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कुछ लोग एसपी से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। इसी दौरान एसपी ने पीड़ित परिवार के साथ खड़े एक युवक को मारने की बात कहते हुए उसे अपने पास आने के लिए कहा। जिसके बाद एसपी ने युवक को थप्पड़ रसीद दिया। इतना ही नहीं एसपी युवक को खींच कर पास के एक ऑफिस में भी ले गए। हालांकि इस दौरान वहां मौजूद महिलाओं ने एसपी से युवक को छोड़ने की मिन्नतें भी की लेकिन एसपी ने एक न सुनी।

वीडियो वायरल होने के बाद आजमगढ़ के एसपी सुधीर कुमार सिंह की तरफ से भी इसपर स्पष्टीकरण दिया गया। आजमगढ़ पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल से एसपी सुधीर कुमार सिंह का वीडियो भी पोस्ट किया। जिसमें एसपी ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आज बुधवार रौनापार थाना क्षेत्र के कुछ पुरुष और महिलाएं जन सुनवाई के दौरान उन्होंने मिले थे। उनकी जो एप्लीकेशन थी उस पर मुकदमा पंजीकृत करने का तत्काल आदेश दिया गया। 

आगे उन्होंने कहा कि जब वे कार्यालय से बाहर निकले तो एक कम उम्र का लड़का उनकी गाड़ी के सामने लेट गया और कुछ लोग पत्थर मारने के लिए सामने आने लगे। जिसके बाद उन्होंने गाड़ी के सामने लेटने वाले युवक को वहां से हटाया और उसे कार्यालय के अंदर ले गए। जहां उसे समझा बुझाकर छोड़ दिया गया। इसमें कुछ लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए सोशल मीडिया पर इस तरह का ट्वीट कर रहे हैं और इसकी कोई सत्यता नहीं है।