केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में किसना लगातार प्रदर्शन कर रहे है। दिल्ली सीमा के करीब डटे हुए किसानों की तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। ऐसे ही कुछ वीडियो वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने अपने ट्विटर से शेयर किए हैं। कापड़ी द्वारा शेयर किए गए वीडियो में लोग किसानों को खाना खिला रहे हैं। एक वीडियो में एक किसान के हाथ नहीं होने के बाद भी वह आंदोलन का हिस्सा हैं।
कापड़ी ने इस किसान का वीडियो शेयर कर लिखा “इन बाबा जी के हाथ नहीं हैं, इसके बावजूद वो आंदोलन का हिस्सा हैं। दूसरे किसान उन्हें खाना खिला रहे हैं। किस आंदोलन में आपको ऐसी तस्वीरें देखने को मिलेंगी?” इस वीडियो में एक किसान दूसरे बुजुर्ग किसान को अपने हाथों से खाना खिला रहा है। बिजुर्ग किसान के हाथ नहीं है फिर भी वह इस आंदोलन का हिस्सा हैं। इसके अलाव कापड़ी ने एक और वीडियो शेयर किया है। जिसमें कुछ लोग किसानों को खाना बाँट रहे हैं।
इस वीडियो को शेयर करते हुए पत्रकार ने लिखा “मोदी सरकार को अहंकार छोड़कर जितनी जल्दी हो सके किसानों की माँगो पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस आंदोलन से आ रही एक एक तस्वीर निराली है , जो आंदोलन के लिए लगातार हमदर्दी बढ़ाती जाएगी।”
बता दें, पंजाब और हरियाणा से आए हजारों किसान पिछले 4 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। ऐसे ही 32 साल पहले किसानों ने दिल्ली के बोट क्लब पर हल्ला बोल कर दिल्ली को ठप कर दिया था। किसानों ने एक बार फिर ठान लिया है कि जब तक सरकार कानून को वापस नहीं लेगी वे डिगने वाले नहीं हैं। नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि हम पीछे हटने के लिए नहीं आए हैं।
इन बाबा जी के हाथ नहीं हैं, इसके बावजूद वो आंदोलन का हिस्सा हैं। दूसरे किसान उन्हें खाना खिला रहे हैं। किस आंदोलन में आपको ऐसी तस्वीरें देखने को मिलेंगी ? pic.twitter.com/VbzVf8PBio
— Vinod Kapri (@vinodkapri) December 2, 2020
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार सितंबर महीने में 3 नए कृषि विधेयक ला आई थी, जिन पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे अब कानून बन चुके हैं। लेकिन किसानों को ये कानून रास नहीं आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा। इसके साथ किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का भी डर सता रहा है।